कार्यक्रम में अतिथि स्वागत वल्र्ड रिसर्चर्स एसोसिएशंस के संस्थापक डॉ. एसएल गर्ग, डॉ. ज्योति गर्ग, डॉ. संजीव अग्रवाल, डॉ. मेघा गर्ग ने किया। संचालन डॉ. रितु जोशी ने किया।डॉ. नवीन धिंगरा ने आभार माना। कार्यक्रम में सेज यूनिवर्सिटी के रजिस्टार मनीष चौधरी, प्रो. चांसलर डॉ. प्रशांत जैन और प्रोफेसर मैनेजमेंट डॉ. संजीव सिंघल भी उपस्थित रहे।
25 करोड़ के नुकसान में था एमपी टूरिज्म उन्होंने कहा, जिस प्रोफेशन में आप हैं, उसमें आपको श्रेष्ठता हासिल करना चाहिए। साल 2005 में जब मैंने एमपी टूरिज्म जॉइन किया तो वह 25 करोड़ के घाटे में था। साल 2006 में नई बिल्डिंग में शिफ्ट हुए और गोल सेट किया कि 2008 में बेस्ट डिर्पाटमेंट बनना है और वह करके भी दिखाया। इंदौर-भोपाल के रास्ते में आने वाले डोडी ढाबे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, साल 2500 पर डे की इनकम थी। वहां का मैनेजर काफी दुखी था। मंैने उससे पूछा तुम कहां सोते हो तो उसने बताया छत पर खटिया डालकर। मैंने अगले दिन वहां काम करने वालों के घर बनाने के ऑडर दिए। एक महीने में मुनाफा दोगुना हो गया और अब वहां प्रतिदिन की इनकम दो लाख 25 हजार रुपए है। अगर आप एम्प्लॉई से कनेक्ट होते हैं, उनकी समस्याओं को समझकर हल करते हो तो उसका पॉजिटिव रिजल्ट मिलता है। सफलता के लिए थ्री एम- मैन, मटेरियल एंड मनी का जरूर ध्यान रखना चाहिए।
बड़ी कार्रवाई की तैयारी, अच्छी खबर मिलेगी पु लवामा में हुए आतंकी हमले पर बोलते हुए मिश्रा ने कहा, पाकिस्तान ये तय मान ले बड़ी कार्रवाई होने वाली और भारतवासियों को अच्छी खबर मिलने वाली है। इस आतंकी हमले का बदला सीआरपीएफ नहीं ले सकती, क्योंकि वह बॉर्डर पर तैनात होती है। इसका बदला आर्मी और पैरा मिलिट्री लेगी। पाकिस्तान के हमले में टेक्नोलॉजी की मदद ली जा सकती है। सिर्फ चाइना ही पाकिस्तान को सर्पोट कर रहा है, अन्य देश भारत के साथ हैं। पाकिस्तान परमाणु हथियारों के बारे में सक्षम है। हमें इस बारे में सर्तक रहने की जरूरत है।
बीएसएफ का प्रयोग चुनाव और कलह सुलझाने में अधिक बीएसएफ के पूर्व एडिशनल डायरेक्टर डॉ. प्रवास कुमार मिश्रा ने कहा, सीमा पर गोली खाने वाला सबसे पहला व्यक्ति बीएसएफ का जवान होता है, लेकिन आज बीएसएफ का उपयोग सीमा सुरक्षा में कम और आंतरिक कलह, दंगे व चुनाव में अधिक हो रहा है। बीएसएफ, सीआरपीएफ, टीटीबीपी और एसएसबी ये चारों पैरामिलेट्री फ ोर्स के अंतर्गत आती है, लेकिन इन्हें सेना के बराबर महत्व नहीं मिलता।
अपने एम्प्लाई से जुड़ा उन्होंने कहा, मैं अपने 35 हजार रेलवे एम्प्लॉई से वाट्सऐप के जरिए जुड़ा रहता था। हाल ही में एयर इंडिया जॉइन किया है और 10, 500 एम्प्लॉई से जुड़ गया हूं। मेरा मानना है कि लीडरशिप सबके लिए ओपन रहना चाहिए। अगर आप अपने एम्प्लॉई से कनेक्टेड रहते हैं, तो ज्यादा समस्याओं व समाधान को जान सकते हैं।
टैलेंट को समझने की जरूरत मिश्रा ने कहा, अमरीका इलेक्ट्रिशियंस को भी 45 लाख रुपए सेलरी देता है, लेकिन हमारे यहां टैलेंट का महत्त्व नहीं समझा जा रहा है। आइआइटी स्टूडेंटस डिफेंस फील्ड में बेहतर काम कर सकते हैं। सरकार को डिफेंस रिसर्च एंड डवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन और आइआइटी के स्टूडेंटस को जोडक़र रिसर्च फील्ड में कार्य करवाना चाहिए। इससे नई टेक्नोलॉजी डवलप कर सकेंगे, जिससे लड़ाकू विमान और आधुनिक हथियार खरीदनें की जरूरत नहीं होगी।