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रामेश्वर में ज्योतिर्लिंग को छू भी नहीं सकते, यहां तो हर कोई महाकाल को रगड़ता दिखता है : जैन संत डॉ. वसंत विजय

locationइंदौरPublished: Jul 21, 2019 03:19:37 pm

संयुक्त राष्ट्र संघ के शांतिदूत और अंतरराष्ट्रीय पार्लियामेंट में भारत में डिप्लोमेटिक काउंसलर के रूप में कार्य कर रहे जैन संत डॉ. वसंत विजय से ‘पत्रिका’ ने कई बिंदुओं पर चर्चा की

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रामेश्वर में ज्योतिर्लिंग को छू भी नहीं सकते, यहां तो हर कोई महाकाल को रगड़ता दिखता है : जैन संत डॉ. वसंत विजय

इंदौर. कृष्णागिरि शक्तिपीठाधिपति (तमिलनाडु) और पब्लिक पीस अवॉर्ड से सम्मानित यतिवर्य वसंत विजय का कहना है, जैन धर्म नहीं दर्शन है। यह दु:ख की बात है कि जैन मंदिरों में सिर्फ जैन जाते हैं। जो भी अहिंसा से जीवन जीना चाहता है, वह जैन दर्शन को मानने वाला है। शाकाहार का पालन करने वाला हर शख्स दुनिया को इको फ्रेंडली बनाने में सहायक है। 22 भाषाओं का ज्ञान और 250 पुस्तकों के 30 हजार मंत्रों को कंठस्थ करने वाले संयुक्त राष्ट्र संघ के शांतिदूत और अंतरराष्ट्रीय पार्लियामेंट में भारत में डिप्लोमेटिक काउंसलर के रूप में कार्य कर रहे जैन संत डॉ. वसंत विजय से ‘पत्रिका’ ने कई बिंदुओं पर चर्चा की…
– विश्व में शांति के लिए क्या काम कर रहे हैं?
दुनिया में शांति बनाने के लिए शांति शिक्षा पाठ्यक्रम बनाया है। दक्षिण भारत के ११७ स्कूल में सप्ताह में एक दिन इसे पढ़ाया जाता है। अब तक करीब डेढ़ लाख बच्चों को यह पढ़ाया गया है। इसमें ध्यान, प्राणायाम, स्वचिंतन जैसे विषयों को समझाया है। स्कूली शिक्षा से व्यक्तित्व का पूर्ण विकास नहीं होता है।
– आज की शिक्षा पर आपका क्या मत है?
शिक्षा सिर्फ पैसा बनाने की शिक्षा है, जिससे भावनाएं खत्म हो रही हैं। वर्तमान में संवेदनायुक्त जीवन जी सकें इसके लिए एक पाठ्यक्रम तैयार किया है, जिसका नाम पीस एज्युकेशन रखा है। इससे शिक्षक से लेकर परिवार तक को लाभ होगा। वेटिकन सिटी के पोप से मिलकर भी उन्हें भी यह पाठ्यक्रम दिया है, ताकि मिशनरी स्कूलों में भी लागू किया जा सके।
– अहिंसा को लेकर क्या सोच है?
जिसको अहिंसा में विश्वास है, वह किसी भी धर्म का हो सकता है। हिंसा नास्तिकता और अहिंसा आस्तिकता है। तीर्थंकर से बड़ा कोच अहिंसा के लिए कोई हो नहीं सकता है। दक्षिण भारत में ८० हजार परिवार को शाकाहारी
बनाया है।
– प्रतिमा को छूने से भक्त को कोई लाभ मिलता है?
ज्ञान के मामले में दक्षिण बहुत समृद्ध है। रामेश्वर में ज्योतिर्लिंग को छू नहीं सकते हैं। व्यवस्थाएं चीजों को सुरक्षित कर रही है। यहां तो हर कोई उज्जैन में महाकाल को रगड़ता दिखाई देता है।
– कोई जन उपयोगी आयोजन करेंगे?
नागपंचमी के मौके पर 5 अगस्त से 21 दिनों तक ह्ींकारगिरि में महालक्ष्मी की साधना होगी। विशेष पीठ स्थापित होगी। इसमें यंत्र-मंत्र दीक्षा दी जाएगी। 200 साधक 20 दिनों में एक करोड़ आठ लाख मंत्रों का जाप करेंगे। इसमें सर्व शाकाहारी समाज भाग लेगा।
– कृष्णागिरि शक्तिपीठ ने वल्र्ड रिकॉर्ड बनाया है?
विश्व के सबसे ऊंचे कृष्णागिरि शक्तिपीठ में 421 फीट के मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। इसमें दुनिया में एक मात्र चार रंगों की 23 फीट की बैठी हुई प्रतिमा प्रतिष्ठित होगी। 200 टन की प्रतिमा को मंदिर तक लाने में 17 वर्ष लगे और करोड़ों रुपए खर्च हुए। पीले, हरे, काले और सफेद पत्थर से प्रतिमा बनाई है। 2 करोड़ कांच के मंदिर का रिकॉर्ड हमारे नाम है।
– जैन धर्म को लेकर आपका विचार क्या है?
कृष्णागिरि तीर्थ पर 15 दिसंबर से 60 दिन में मेले के 60 लाख सर्वधर्म लोग आते है। कोई भी धर्मावलंबी जैन दर्शन को मान सकता है। 84 हजार हिंदू परिवार शाकाहारी बन चुके है और अहिंसामय धर्म को अपनाते है। हिंसा मुक्त जीवन हो यही धर्म है। अहिंसा अपनाने से ग्लोबल वार्मिंग सहित कई लाभ होंगे। मंदिरों को धर्मवाद से मुक्त करना चाहिए।
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