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वर्षों से लॉकर में बंद अस्थियों को ‘अपनों का इंतजार’, अब चूहे कुतरने लगे पोटलियां

locationइंदौरPublished: Sep 21, 2019 02:19:30 pm

इनके वारिस बाद में ले जाने का कहकर गए, फिर लौटकर नहीं आए
कुछ मुक्तिधामों पर सुविधा दी गई है कि अंतिम संस्कार के बाद लोग अस्थियां वहां रख दें

वर्षों से लॉकर में बंद अस्थियों को ‘अपनों का इंतजार’,  अब चूहे कुतरने लगे पोटलियां

वर्षों से लॉकर में बंद अस्थियों को ‘अपनों का इंतजार’, अब चूहे कुतरने लगे पोटलियां

अनिल धारवा @ इंदौर. जहां एक ओर श्राद्ध पक्ष में घर-घर में लोग पितरों के तर्पण के लिए दान-पुण्य और अनुष्ठान करते हैं, वहीं इंदौर के मुक्तिधामों में कई दिवंगतों की अस्थियां विसर्जन के लिए अपनों के इंतजार में लॉकरों में बंद हैं। इनके वारिस बाद में ले जाने का कहकर गए, फिर लौटकर नहीं आए। तब से अस्थियां वारिसों के इंतजार में हैं। दरअसल कुछ मुक्तिधामों पर सुविधा दी गई है कि अंतिम संस्कार के बाद लोग अस्थियां वहां रख दें और बाद में सुविधानुसार ले जाएं। लोग इस सुविधा का इस्तेमाल तो करते हैं, लेकिन 25 प्रतिशत लोग लौटकर ही नहीं आते।
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चूहे पहुंचा रहे नुकसान

जूनी इंदौर मुक्तिधाम के महेश तिवारी कहते हैं,हम लोगों को फोन तक लगाते हैं। कोई आ जाता है और कोई शहर से बाहर होने या कुछ परिजन असमर्थ होने से अस्थियां लेने नहीं आ पाते। यहां लॉकर और पोटलियों में वर्षों से अस्थियां रखी हैं, जिन्हें चूहे नुकसान पहुंचा रहे हैं। यहां पहचान के लिए रजिस्टर में नाम, मोबाइल नंबर तक दर्ज होते हैं। लॉकर पर भी नंबर व नाम लिखे जाते हैं, लेकिन अब पर्चियां भी खराब हो गई हैं।
वर्षों से लॉकर में बंद अस्थियों को ‘अपनों का इंतजार’, अब चूहे कुतरने लगे पोटलियां
खुद का लगाते हैं ताला

तिलक नगर मुक्तिधाम में वारिस ताला लगाकर अस्थियां रख सकते हैं। गोविंद कैथवास ने बताया, लोग अंतिम संस्कार के नौवें या दसवें दिन अस्थियां ले जाते हैं। कुछ लॉकर में वर्ष 2015-16 से अस्थियां रखी हैं, जिन्हें कोई लेने नहीं आया है। मीत कश्यप ने बताया, लोगों लगाए गए द्वारा ताले हम खोलते नहीं हैं। पहचान के लिए नाम की पर्ची लगाई जाती है और मोबाइल नंबर भी रहते हैं। परिजन को फोन भी लगाने के साथ संपर्क भी करते हैं। जो लोग अस्थियां नहीं ले जा पाते हम विसर्जित करते हैं।
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