जानकारों का कहना है कि अक्सर कार्ड की कमी होने से आवेदकों को ड्राइविंग लाइसेंस नहीं मिलते थे, लेकिन अभी हालात उल्टे हैं। विभाग के पास कार्ड तो पर्याप्त संख्या में हैं लेकिन प्रिंट नहीं होने से यह स्थिति बनी हुई है।
बताया जा रहा है कि कार्ड प्रिंट कर देने की जिम्मेदारी स्मार्ट चिप कंपनी के पास है। विभाग इसके ऐवज में कंपनी को दो से तीन रुपए प्रति कार्ड देता है। पहले कंपनी के पास ही सबकुछ काम था, लेकिन जबसे एनआइसी के पोर्टल पर सारा काम गया, स्मार्टचिप कंपनी के पास कार्ड प्रिंट का ही काम शेष रह गया। यही वजह से है कि हाथ से सारा काम चले जाने के बाद कंपनी ने प्रिंटिंग में भी रुचि लेना कम कर दिया। दो सप्ताह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी कंपनी के जिम्मेदारों ने अभी तक ड्राइविंग लाइसेंस प्रिंट के लिए रिबन नहीं भेजी है। जानकारों का कहना है कि हर दिन इंदौर में 500 ड्राइविंग लाइसेंस के आवेदन और इतने ही रिन्यूअल, डुप्लीकेट सहित संशोधन आदि के आवेदन भी आते हैं।