प्रदेश में 30 नवंबर की शाम से शुरू हुए एग्जिट पोल में वैसे तो यह खुलासा नहीं हो पा रहा है कि आखिर सरकार किसकी होगी। भाजपा संगठन के नेता यह सतर्कता लेकर चल रहे हैं कि कहीं किनारे पर मामला रहा तो जीत का सेहरा पहनने वाले प्रत्याशियों पर कोई डोरे न डाल पाए। वैसे भी भाजपा साल 2019 में हुए सत्ता परिवर्तन को ध्यान में रखकर ही सारा खेल खेल रही है। 2019 में भाजपा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से बगावत कर लेने के कारण सत्ता पा ली थी, लेकिन अब भाजपा किसी भी प्रकार की कोई गुंजाईश नहीं छोडऩा चाहती है। भाजपा भी जानती है कि कांग्रेस भी किसी भी प्रकार से चूक नहीं करेगी। 2019 चोट खाकर बैठी कांग्रेस हर स्थिति में सत्ता तक पहुंचना चाहेगी। यदि सत्ता की गद्दी तक पहुंचने में कुछ वोटों की कमी हुई तो भाजपा प्रत्याशियों को भी ऑफर दिया जा सकता है। ऐसी कई शंका-कुशंकाओं के चलते भाजपा ने अपने जीतने वाले प्रत्याशियों को मतगणना वाले दिन ही नजरबंद करने की रणनीति तैयार की है।
करीबी मामला रहा तो रणनीति तैयार
सूत्रों का कहना है कि भाजपा ने हर परिस्थिति के हिसाब से रणनीति तैयार की है। प्रत्याशियों को नजरबंद करने की रणनीति भी इसी का हिस्सा है। यदि करीबी मामला रहा तो भाजपा संगठन पहले अपने जीते हुए प्रत्याशियों को नजरबंद करेगा। इसके बाद दूसरी चाल चली जाएगी। सत्ता तक पहुंचने में जितने वोट की जरूरत होगी उतने अन्य दलों या निर्दलियों को अपने पक्ष में करने के लिए भी रणनीति तैयार की जा चुकी है। वहीं इनके लिए नेताओं को जिम्मेदारी भी सौंपी जा चुकी है।