मामला सोमवार का है। वाहन ट्रांसफर करवाने के लिए देवास से आए दिव्यांग आरिफ खान को एक साइन करने के लिए घंटो परेशान होना पड़ा। दरअसल आरिफ ने कुछ समय पहले मैजिक वाहन बेचा था। वाहन ट्रांसफर होने के दौरान खरीददार और बेचवाल देानों के साइन होते है। इसी साइन के लिए एजेंट ने आरिफ को देवास से इंदौर बुलाया था। दस्तावेज में साइन करने के लिए आरिफ को पहली मंजिल तक बेसाखी के सहारे जाना पड़ा। चिकने पत्थरों के कारण कई बार आरिफ की बेसाखी भी डगमगा गई, शुक्र है साथी ने आरिफ का हाथ थामे रखा। बता दें कि आरटीओ कार्यालय में इस तरह की शर्मशार करने घटना पहली बार नहीं हुई है। ७ मई को लाइसेंस की एनओसी लेने अहमदाबाद से आए कमल सिंह का एक पैर नीचे से कटा हुआ था और प्लास्टर चढ़ा हुआ था। कमल को रेंगते हुए पहली मंजिल पर जाना पड़ा था। कोई मदद करने वाला नहीं था।
कोई सुविधा नहीं बकौल आरिफ आरटीओ कार्यालय में दिव्यांगजनों के लिए किसी तरह व्यवस्था नहीं है। सीढिय़ों में चिकने पत्थर लगे हैं, जिससे बेसाखी भी स्लिप होती है। दिव्यांगजनों के लिए रैंप और व्हील चेयर होना चाहिए या फिर दिव्यांगजनों का काम नीचे ही होना चाहिए। आरटीओ में उनका ही काम होता है, जो कि एजेंट की मदद से आते या फिर किसी पहचान लेकर।