यह बात आइपीएस एकेडमी इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड साइंस में चल रही 3 दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन शुक्रवार को डॉ. यू चंद्रशेखर ने कही। ‘रिसेंट एडवांसमेंट इन इंटरडिसिप्लिनरी ट्रेंड्स इन इंजीनियरिंग एंड एप्लीकेशन’ थीम पर हो रही कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, थ्रीडी प्रिंटिंग तकनीक इतनी आगे तक जाएगी, ये किसी ने नहीं सोचा था। इसका खास फायदा यह हुआ है कि उन प्रोडक्ट को मनचाही जगह से पाना आसान हो गया है, जो कस्टमाइज्ड होती हैं। दिव्यांगों के लिए भी यह वरदान है, क्योंकि पहले उन्हें कृत्रिम पैर के लिए काफी मशक्कत करना पड़ती थी। थ्रीडी प्रिंटर की मदद से पैर घर बैठे बनवाया जा सकेगा। आइआइटी तिरुपति डीन एकेडमिक प्रोफेसर के कृष्णैया ने 21वीं सदी की चुनौतियां जैसे जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण और ऊर्जा संरक्षण को हल करने में केमिकल इंजीनियरिंग की भूमिका पर संबोधित किया। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर हमने पर्यावरण को संभालने में देर की तो दुनिया का विनाश होने में देर नहीं लगेगी। कॉलेज प्राचार्या डॉ. अर्चना कीर्ति चौधरी ने भी संबोधित किया।
कार्बोऑक्सिलिक एसिड कैंसर निवारण में करता है मदद क ई यूरोपियन वैज्ञानिक समितियों के सदस्य और स्लोवाक यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी ब्राटिस्लावा, स्लोवाकिया के प्रोफेसर स्टिफन स्लोसर ने कैंसर जैसे रोग के निवारण में कार्बोऑक्सिलिक एसिड की उपयोगिता के बारे में बताया। कॉन्फ्रेंस में रूस, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, रूस, फ्रांस, पुर्तगाल, मेक्सिको और रोमानिया आदि देशों से पार्टिसिपेंट्स पहुंचे हैं।