विधानसभा चुनाव में दावेदारी करने के बावजूद कई नेताओं को टिकट न देकर दरकिनार कर दिया गया है, जिन्होंने नाराज होकर पार्टी प्रत्याशी को नुकसान पहुंचाने के लिए निर्दलीय नामांकन पत्र दाखिल कर दिए। पार्टी के बड़े नेताओं ने इन्हें मनाकर नामांकन फॉर्म तो वापस उठवा लिए, लेकिन इनके काम करने को लेकर असमंजस बना हुआ है। इनके साथ ही शहरी और ग्रामीण विधानसभा सीट पर अन्य कई कांग्रेस नेता व कार्यकर्ता नाराज चल रहे हैं। इसके साथ ही अभी तक घर से नहीं निकले हैं। प्रत्याशी इनकी मान-मनुहार करने के साथ समझौता कर रहे हैं। टिकट के दावेदारों की नाराजगी दूर कर गठबंधन अलग कर रहे हैं ताकि चुनाव लडऩे के दौरान इन विरोधियों के बजाय अन्य चीजों पर ध्यान दिया जा सके। विरोधियों को एक जाजम पर लाने के चल रहे प्रयास के तहत सबसे ज्यादा मशक्कत ९ विधानसभाओं में से अधिकतर पर चल रही है। गौरतलब है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में जीतकर सरकार बनाने का सपना कांग्रेस देख रही है। अब यह सपना साकार होगा या फिर टूटेगा यह तो 11 दिसंबर को काउटिंग होने के बाद ही पता चलेगा, लेकिन कांग्रेस पूरी ताकत से लगी हुई है।