scriptमालवा मिल ने किया झांकियों के कारवां में शामिल होने से इनकार | Malwa Mill denied part of Anant Chaturdashi Julus | Patrika News

मालवा मिल ने किया झांकियों के कारवां में शामिल होने से इनकार

locationइंदौरPublished: Sep 17, 2018 09:52:36 pm

मिल में ही झांकी खड़ी कर वहीं पर शहर की जनता को दिखाने की करेंगे व्यवस्था कारवां में शामिल नहीं होगी। मिल समिति ने की घोषणा।

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malwa mill

इंदौर.
शहर का परंपरागत जुलूस माने जाने वाले अनंत चतुर्दशी के चल समारोह में हर बार होने वाली अव्यवस्था को लेकर झांकियां निकालने वाले मिलों ने इस बार आरपार की लड़ाई लडऩे की तैयारी कर ली है। मालवा मिल ने झांकियों के जुलूस को लेकर सपष्ट कर दिया है कि यदि इस बार झांकियों के क्रम को तोड़कर जिला प्रशासन ने डीआरपी लाइन चौराहे के बजाए चिकमंगलूर चौराहे से झांकियां निकालने की कोशिश की तो उनकी मिल की झांकी कारवां में शामिल नहीं होगी। बल्कि वे मिल में ही झांकी खड़ी कर वहीं पर जनता को झांकी दिखाएंगे।
मिलों के बंद होने के बाद भी मिल मजदूर शहर की परंपरा का निर्वाह करने के लिए अभी भी जनसहयोग, नगर निगम और आईडीए की आर्थिक सहायता से अनंत चतुर्दशी पर झांकियां लेकर निकलते हैं। मिलों में झांकियो के निर्माण का काम तेजी से चल रहा है। लेकिन हर बार शहर की परंपरा को बरकरार रखने की कोशिश करने वाले मिल मजदूर हर बार जुलूस शुरू होने के बाद खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं। पिछले दो सालों से जिला प्रशासन ने मिलों की झांकियों का कारवां शुरू करने की जगह ही बदल दी थी। भंडारी मिल चौराहे से शुरू होने वाला झांकियों का कारवां जिला प्रशासन की हठधर्मिता के चलते आधा किलोमीटर दूर चिकमंगलूर चौराहे से शुरू होता रहा है। जिसके कारण मिलों की झांकियों का क्रम पूरी तरह से बदल जाता है ओर मिलों की झांकियां पीछे ही रह जाती हैं। जिसके चलते इस बार मालवा मिल मजदूरों ने अपनी झांकियों को लेकर साफ कर दिया है कि यदि इस बार भी झांकियों के कारवां के शुरू होने का स्थान और क्रम बदला गया तो वे कारवां में शामिल नहीं होंगे। मिल में ही झाकियों को खड़ी रखी जाएगी। अनंत चतुर्दशी के एक दिन बाद जिस तरह से तीन दिनों तक मिल में ही दर्शकों के लिए झांकियां खड़ी की जाती है उसी तरह से ही झांकियां वो जनता को दिखाएंगे।
इसलिए हैं मजदूर परेशान
हर बार मिलों की झांकियां 8 से 10 घंटे तक भंडारी ब्रिज और राजकुमार ब्रिज पर ही खड़ी रहती हैं। इस दौरान झांकियों की लाइट को बनाए रखने के लिए जनरटेर में लगातार डीजल लगता रहता है। बमुश्किल पैसा इकट्ठा करने वाले मिल मजदूरों का जितना पैसा झांकियों के निर्माण में नहीं लगता है, उससे डेढ़ गुना ज्यादा पैसा घंटों तक सड़क पर ही झांकियों को खड़ी रखने पर डीजल में ही खर्चा हो जाता है। और बाद में जब कारवां शुरू होता है तो जिला प्रशासन के अधिकारी तेजी से झांकियों को आगे बढ़वा देते हैं। जिससे जनता भी झांकियों को नहीं देख पाती है।
नेताओं की झांकी बनाने के चक्कर में बदला स्थान
झांकियों के कारवां की शुरूआत खजराना गणेश की झांकी के साथ होती है। ये झांकी खुद रिसीवर कलेक्टर और जिला प्रशासन निकलवाता है। ये झांकी चिकमंगलूर चौराहे पर दोपहर 3 बजे से ही खड़ी कर दी जाती है। मिल मजदूरों के मुताबिक दरअसल ये पूरा खेल नेताओं की झांकी जमाने के लिए होता है। खजराना गणेश के पीछे नेताओं की संस्थाओं द्वारा निकाली जाने वाली झांकियां खड़ी कर दी जाती है। ये झांकियां तब तक आगे नहीं बढ़ती हैं, जब तक नेता नहीं चाहते हैं। ऐसे में मिलों की झांकियां पीछे ही खड़ी रह जाती है।
ये कर सकता है प्रशासन
मिल मजदूरों के मुताबिक यदि भंडारी मिल चौराहे से झांकियों की शुरूआत होती है तो यहां पर जल्दी आने वाली झांकियों को खड़ी करने के लिए भी पर्याप्त जगह है। भंडारी मिल से शांतिपथ की ओर के रास्ते पर झांकियों को क्रम से खडा किया जा सकता है। जिस झांकी का नंबर आए उसे आगे कर काफिले को व्यवस्थित तरीके से आगे बढ़ाया जा सकता है। वहीं राजकुमार मिल पुल से आने वाली मालवा मिल और राजकुमार मिल की झांकियां क्रम आने पर काफीले में डीआरपी लाइन चौराहे से शामिल हो सकती हैं।
0 शांति समिति की बैठक में हमने क्रम को लेकर सभी के सामने अपनी बात रख दी थी। साथ ही पिछले साल जैसी स्थिति इस बार न बनें, इसलिए हमने तय कर लिया है कि यदि प्रशासन ने इस बार भी झांकियों को निकालने का स्थान बदला तो हम झांकियां ही नहीं निकालेंगे।
– कैलाश कुशवाह, अध्यक्ष, मालवा मिल गणेशोत्सव समिति

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