रावत ने कहा कि ईवीएम को विदेशों में भी सराहा गया है. ईवीएम पर आप संदेह नहीं कर सकते हैं. रावत ने कहा कि जब वे आयुक्त थे तब मणिपुर के एक मतदान केन्द्र पर वेब कास्टिंग चल रही थी. उस दौरान देखा गया कि एक सज्जन आए, जिन्हें देखकर वहां सुरक्षा में तैनात जवाल ने सलामी ठोकी. वे बूथ के अंदर चले गए. वहां तैनात कर्मचारी भी उन्हें देखकर खड़े हो गए. सज्जन ने एक मतदाता को अंदर बुलाया और उसकी उंगली पर अमिट स्याही लगवाई और उसका वोट खुद दे दिया. वे हर मतादाता के साथ ऐसा ही करने लगे.
उन्होंने कहा कि इसके बाद मैंने डीजीपी को फोन कर गड़बड़ी रोकने का आदेश दिया. अफसरों की टीम बूथ पर पहुंची और पुराने वोट रद्द कर दिए गए और फिर से मतदान कराया. उन्होंने कहा कि यदि आयोग निगरानी नहीं रखता तो ईवीएम पर आरोप लगते उसमें गड़बड़ी थी. ऐसे में आज ईवीएम की निष्पक्षता के लिए यह आवश्यक है कि जिन हाथों में है वे निष्पक्ष रहे.
आयोग के पास बहुत शक्तियां रावत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि देश के संविधान ने चुनाव आयोग को बहुत शक्तियां दी है. उन्होंने कहा कि एक बार चुनाव प्रक्रिया शुरू हो जाए तो इसके बाद मतगणना और परिणाम घोषित होने तक सुप्रीम कोर्ट भी प्रक्रिया हस्तक्षेत नहीं कर सकता.
चुनाव में बढ़ रहा धन का दुरुपयोग पूर्व चुनाव आयुक्त ने माना कि चुनाव में धन का दुरुपयोग बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल चुनाव आयोग को पेंचिंग बैग की तरह इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने कहा कि पार्टियों के चुनावी खर्च को ऊपरी सीमा पर सीलिंग होनी चाहिए.
इस बार के चुनाव बहुत अलग रावत ने कहा कि इस बार का चुनाव बहुत अलग है. पार्टियां तय नहीं कर पा रही हैं कि वोटर्स किस दिशा में जा रहे हैं. शुरू-शुरू में आयोग कुछ मामलों में एक्शन लेने में देरी की, जिस पर सुप्रीम कोर्ट को कहना पड़ा औऱ इसके बाद से ही एक्शन तेज हुआ. फिर बंदिशें लगाई गईं.