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इंदौर

इस शहर में 70 साल के बुजुर्ग संभाल रहे ट्रैफिक

बुजुर्गों ने उठाया ट्रैफिक सुधार का जिम्मा

इंदौरSep 23, 2018 / 02:20 pm

amit mandloi

indore traffice police

इस शहर में 70 साल के बुजुर्ग संभाल रहे ट्रैफिक

इंदौर. शहर के बिगड़ते ट्रैफिक से हर कोई वाकिफ भी है और बेहद परेशान भी। आए दिन लोग ट्रैफिक में उलझते नजर आते हैं। बात चाहे पाटनीपुरा चौराहे की करें या फिर अग्रसेन, छावनी, विजय नगर या मालवा मिल की। हर जगह ट्रैफिक की समस्या से आम जनता जूझती नजर आती है। इस स्थिति को देखते हुए 70 वर्षीय रिटायर्ड बैंक मैनेजर जनमोहन शर्मा ने ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने का बीड़ा उठाया है। अब उनका यह काम दूसरे लोगों के लिए भी एक आदर्श पेश कर रहा है।
लाइट वाली छड़ और सीटी का सहारा
एमवाय चौराहा से अग्रसेन चौराहा की ओर जाने वाली मार्ग पर अकसर जगमोहन शर्मा हाथों में एक लाइट वाली छड़ी और सिटी बजाते हुए नजर आते हैं। कभी ये छावनी चौराहा पर तो कभी अग्रसेन चौराहे का ट्रैफिक संभालते हैं। यहां के लोग इनका बहुत आदर सम्मान भी करते हैं। वे किसी ड्रेसकोड में नहीं बल्कि साधारण से कपड़ों यानि पेंट शर्ट में होते हैं और सिटी बजाकर और छड़ी दिखाकर ट्रैफिक को कंट्रोल करने में लगे रहते हैं। इन्हीं की वजह से कई लोगों में ट्रैफिक सेंस भी आया है। जगमोहन शर्मा कहते हैं रिटायरमेंट के बाद घर बैठने से अच्छा है शहर के लिए कुछ करें।

जगमोहन शर्मा की उम्र 70 वर्ष है और जब से एसबीआई बैंक से इनका रिटायरमेंट हुआ है तभी से वे अपने खाली समय में शहर के ट्रैफिक को संभालने में जुटे हुए हैं। जगमोहन शर्मा को अकसर छावनी चौराहा पर देखा जा सकता है, जहां बेतरतीब ट्रैफिक की वजह से लोग निकलना भी पसंद नहीं करते। शर्मा यहां अकसर दोपहर और शाम को करीब 7 से 8 घंटे खड़े रहकर ट्रैफिक संभालते हैं। इसी तरह निर्मला पाठक की उम्र भी करीब 95 साल है लेकिन आज भी वे कई बार शहर के चौराहों पर ट्रैफिक संभालते हुए नजर आ जाती हैं।
जगमोहन शर्मा
2 चौराहे का ट्रैफिक संभालते हैं जगमोहन शर्मा
08 साल से जुटे हैं इसमें
24 घंटे में से 8 घंटे शहर के लिए देते हैं

traffice police
95 साल की उम्र में युवाओं साजोश
निर्मला पाठक
– 200 से ज्यादा अवार्ड
-30 साल से ज्यादा हो गए इंदौर का ट्रैफिक संभालते
– 36 साल तक संभाला हैं मुंबई का ट्रैफिक
निर्मला पाठक से हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि शादी के कुछ साल बाद जब ननंद-नंदोई और फिर सौतेले भाई ने घर से निकाल दिया था तभी मैं मुंबई चली गई थी। वहां कई फिल्मों में मैंने काम भी किया और साइकिल से शहरभर में दौड़कर वहां का ट्रैफिक भी संभाला। वहां मुझे लोग साइकिल वाली बाई बोला करते थे। करीब 36 साल तक मैंने शहर का ट्रैफिक संभाला था और फिर इंदौर लौट आई। वे कहती है मैं भले ही 95 साल की हू लेकिन आज भी कई किलो मीटर पैदल चल फिर सकती हू।
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