लाइट वाली छड़ और सीटी का सहारा
एमवाय चौराहा से अग्रसेन चौराहा की ओर जाने वाली मार्ग पर अकसर जगमोहन शर्मा हाथों में एक लाइट वाली छड़ी और सिटी बजाते हुए नजर आते हैं। कभी ये छावनी चौराहा पर तो कभी अग्रसेन चौराहे का ट्रैफिक संभालते हैं। यहां के लोग इनका बहुत आदर सम्मान भी करते हैं। वे किसी ड्रेसकोड में नहीं बल्कि साधारण से कपड़ों यानि पेंट शर्ट में होते हैं और सिटी बजाकर और छड़ी दिखाकर ट्रैफिक को कंट्रोल करने में लगे रहते हैं। इन्हीं की वजह से कई लोगों में ट्रैफिक सेंस भी आया है। जगमोहन शर्मा कहते हैं रिटायरमेंट के बाद घर बैठने से अच्छा है शहर के लिए कुछ करें।
जगमोहन शर्मा की उम्र 70 वर्ष है और जब से एसबीआई बैंक से इनका रिटायरमेंट हुआ है तभी से वे अपने खाली समय में शहर के ट्रैफिक को संभालने में जुटे हुए हैं। जगमोहन शर्मा को अकसर छावनी चौराहा पर देखा जा सकता है, जहां बेतरतीब ट्रैफिक की वजह से लोग निकलना भी पसंद नहीं करते। शर्मा यहां अकसर दोपहर और शाम को करीब 7 से 8 घंटे खड़े रहकर ट्रैफिक संभालते हैं। इसी तरह निर्मला पाठक की उम्र भी करीब 95 साल है लेकिन आज भी वे कई बार शहर के चौराहों पर ट्रैफिक संभालते हुए नजर आ जाती हैं।
एमवाय चौराहा से अग्रसेन चौराहा की ओर जाने वाली मार्ग पर अकसर जगमोहन शर्मा हाथों में एक लाइट वाली छड़ी और सिटी बजाते हुए नजर आते हैं। कभी ये छावनी चौराहा पर तो कभी अग्रसेन चौराहे का ट्रैफिक संभालते हैं। यहां के लोग इनका बहुत आदर सम्मान भी करते हैं। वे किसी ड्रेसकोड में नहीं बल्कि साधारण से कपड़ों यानि पेंट शर्ट में होते हैं और सिटी बजाकर और छड़ी दिखाकर ट्रैफिक को कंट्रोल करने में लगे रहते हैं। इन्हीं की वजह से कई लोगों में ट्रैफिक सेंस भी आया है। जगमोहन शर्मा कहते हैं रिटायरमेंट के बाद घर बैठने से अच्छा है शहर के लिए कुछ करें।
जगमोहन शर्मा की उम्र 70 वर्ष है और जब से एसबीआई बैंक से इनका रिटायरमेंट हुआ है तभी से वे अपने खाली समय में शहर के ट्रैफिक को संभालने में जुटे हुए हैं। जगमोहन शर्मा को अकसर छावनी चौराहा पर देखा जा सकता है, जहां बेतरतीब ट्रैफिक की वजह से लोग निकलना भी पसंद नहीं करते। शर्मा यहां अकसर दोपहर और शाम को करीब 7 से 8 घंटे खड़े रहकर ट्रैफिक संभालते हैं। इसी तरह निर्मला पाठक की उम्र भी करीब 95 साल है लेकिन आज भी वे कई बार शहर के चौराहों पर ट्रैफिक संभालते हुए नजर आ जाती हैं।
जगमोहन शर्मा
2 चौराहे का ट्रैफिक संभालते हैं जगमोहन शर्मा
08 साल से जुटे हैं इसमें
24 घंटे में से 8 घंटे शहर के लिए देते हैं 95 साल की उम्र में युवाओं साजोश
निर्मला पाठक
– 200 से ज्यादा अवार्ड
-30 साल से ज्यादा हो गए इंदौर का ट्रैफिक संभालते
– 36 साल तक संभाला हैं मुंबई का ट्रैफिक
निर्मला पाठक से हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि शादी के कुछ साल बाद जब ननंद-नंदोई और फिर सौतेले भाई ने घर से निकाल दिया था तभी मैं मुंबई चली गई थी। वहां कई फिल्मों में मैंने काम भी किया और साइकिल से शहरभर में दौड़कर वहां का ट्रैफिक भी संभाला। वहां मुझे लोग साइकिल वाली बाई बोला करते थे। करीब 36 साल तक मैंने शहर का ट्रैफिक संभाला था और फिर इंदौर लौट आई। वे कहती है मैं भले ही 95 साल की हू लेकिन आज भी कई किलो मीटर पैदल चल फिर सकती हू।
2 चौराहे का ट्रैफिक संभालते हैं जगमोहन शर्मा
08 साल से जुटे हैं इसमें
24 घंटे में से 8 घंटे शहर के लिए देते हैं 95 साल की उम्र में युवाओं साजोश
निर्मला पाठक
– 200 से ज्यादा अवार्ड
-30 साल से ज्यादा हो गए इंदौर का ट्रैफिक संभालते
– 36 साल तक संभाला हैं मुंबई का ट्रैफिक
निर्मला पाठक से हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि शादी के कुछ साल बाद जब ननंद-नंदोई और फिर सौतेले भाई ने घर से निकाल दिया था तभी मैं मुंबई चली गई थी। वहां कई फिल्मों में मैंने काम भी किया और साइकिल से शहरभर में दौड़कर वहां का ट्रैफिक भी संभाला। वहां मुझे लोग साइकिल वाली बाई बोला करते थे। करीब 36 साल तक मैंने शहर का ट्रैफिक संभाला था और फिर इंदौर लौट आई। वे कहती है मैं भले ही 95 साल की हू लेकिन आज भी कई किलो मीटर पैदल चल फिर सकती हू।