शिक्षा का स्तर अभी कैसा है? – वर्तमान शिक्षा का स्तर अहंकार पैदा करने वाला है। शिक्षा ऐसी हो जिससे सिर्फ डिग्री न मिले, युवा में नम्रता और सहनशीलता का भाव भी पैदा करें।
नई पीढ़ी कैसे प्रभावित है? -अज्ञानता के कारण वैज्ञानिक युग में आधुनिक उपकरणों का दुरुपयोग हो रहा है। यह व्यक्ति, समाज और देश के लिए घातक है। मोबाइल का महत्व न समझ युवा गलत कार्यों में समय खराब कर रहे हैं।
धर्म-जाति का राजनीति में उपयोग सही है? -राजनीतिज्ञों को देश नहीं चलाना, सिर्फ कुर्सी पाना है। इसलिए धर्म और जाति की राजनीति की जा रही है। संसद में ३० फीसदी लोग शैतान हैं। एक आदमी के सज्जन होने से कुछ नहीं होता है।
समाज में बढ़ते पंथवाद को कैसे देखते है? -यह अज्ञानता का प्रतीक है, अहंकार ही है। इसे खत्म करने के लिए ज्ञान और विनम्रता की आवश्यकता है।
हाल में एक संत फिर सांसारिक जीवन में आ गए? जिस तरह कक्षा में हर छात्र प्रथम नहीं आता या पास नहीं होता, उसी तरह वैराग्य का रास्ता होता है। हर कोई इसमें सफल नहीं हो पाता है।
हाल में एक संत फिर सांसारिक जीवन में आ गए? जिस तरह कक्षा में हर छात्र प्रथम नहीं आता या पास नहीं होता, उसी तरह वैराग्य का रास्ता होता है। हर कोई इसमें सफल नहीं हो पाता है।
बावनगजा में महामस्तकाभिषेक में मारपीट की घटना उचित है? -बावनगजा की घटना दुखद है।, अहंकार इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण है। संत को साधना की जरूरत क्यों? – साधना के पीछे त्याग-तपस्या और आत्मा को पवित्र बनाने के लिए शरीर को तपाना है। यह दूसरों के लिए ही की जाती है। समाज के हित के लिए साधना की जाना चाहिए।
48 वर्ष से जमीन पर नहीं लेटे – जैनाचार्य शीतलराज महाराज 48 वर्षों से जमीन पर लेटे नहीं है। सोने के लिए कभी भी बिस्तर का उपयोग नहीं किया। 1970 में महाराज ने दीक्षा ली थी। 48 वर्षों से रोजाना दोपहर 12 से 3 बजे तक सूर्य साधना करते हैं। हर सप्ताह सोमवार और गुरुवार को मौन साधना करते हैं। घर-घर से भिक्षा मांगकर एक समय ही भोजन करते हैं।