व्यापारी एसोसिएशन ने दावा किया है कि यह जमीन व्यापारियों की है, न की मंडी प्रशासन की। हालांकि मंडी प्रशासन भी इस जमीन पर अपना दावा जता रहा है। व्यापारी एसोसिएशन के दावा जताए जाने के बाद मंडी प्रशासन की छावनी अनाज मंडी का कर्मशियल उपयोग किए जाने की योजना खटाई में पड़ती दिखाई दे रही है। बताया जा रहा है कि मंडी प्रशासन इस जमीन का व्यवसायिक उपयोग किए जाने की एक बड़ी प्लानिंग कर चुका है। इस जमीन से होने वाली आय से ही बायपास पर नई मंडी को आकार देने की भी प्लानिंग है।
वर्तमान जमीन तत्कालीन व्यापारी एसोसिएशन ने दान में दी थी। इसलिए अब इस जमीन पर व्यापारी एसोसिएशन का अधिपत्य नहीं है।
नरेश परमार, सचिवकृषि उपज मंडी समिति, इंदौर7
मंडी प्रशासन को हर पहलू की जानकारी है। सारे दस्तावेज उनके पास भी है। दान नहीं समझौते के तहत जमीन दी गई है। हम भी चाहते है शहर हित में छावनी अनाज मंडी शिफ्ट हो।
संजय अग्रवाल अध्यक्ष, व्यापारी एसोसिएशन
अनाज व्यापारी एसोसिएशन का दावा है कि अनाज मंडी की जमीन तात्कालीन एसोसिएशन जिसे संयोगितागंज ग्रेन मर्चेंट एसोसिएशन कहा जाता था, ने खरीदी थी। उस दौरान एसोसिएशन के 240 व्यापारियों ने 5-5 हजार रुपए मिलाए थे। यह बात 1960 की है। इस दौरान यह भी तय हुआ था कि व्यापारियों को एक एक हजार वर्गफीट जमीन गोदाम व आफिस के लिए निशुल्क दिए जाएंगे। एक इकरारनामा भी 22 नवंबर 1960 को हुआ था। उस दौरान छावनी क्षेत्र के तात्कालीन विधायक व मंत्री रहे मिश्रीलाल गंगवाल, रामेश्वरदायल तोतला, सज्जनसिंह विश्रार के सक्रिय प्रयासों से तात्कालीन कृषि उपंत्री स्व. श्यामसुंदर नारायण मुश्रान, प्रदेश के चीफ मार्केटिंग ऑफिसर रीवा शंकरलाल गौड की उपस्थिति में कृषि उपज मंडी समिति इंदौर के अध्यक्ष महंतरामगोपाल दास और संयोगितागंज ग्रेन मर्चेंट एसोसिएशन वर्तमान में श्री इंदौर अनाज तिलहन व्यापारी संघ की पैतृक संस्था के अध्यक्ष महादेव प्रसाद शाहरा के मध्य समझौता हुआ था। इसका विधिवत पंजीयन भी 22 फरवरी 1961 को हुआ था।
एसोसिएशन का दावा है तत्कालीन अनाज व्यापारी एसोसिएशन ने 16.79 एकड़ जमीन कृषि उपज मंडी समिति इंदौर को हस्तांतरित की है। मूल्य चुका कर नहीं खरीदी है। व्यापारी एसोसिएशन ने छावनी की जूनी मंडी को नदी पर स्थित इस नए प्रांगण से जोडऩे के लिए अपने खर्चे पर ब्रिज का निर्माण भी कराया। एसोसिशन का कहना है कि मंडी शिफ्ट होती है तो इकारारनाम के तहत उक्त भूमि पर मंडी प्रांगण का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा।