इस स्टैंड से उज्जैन, देवास और खंडवा की सबसे अधिक बसों का संचालन होता है। हर दो से पांच मिनट में इस रूट पर बसें मिल जाती हैं। वहीं राजस्थान, महाराष्ट्र की बसों का संचालन अक्सर सुबह-शाम में ही होता है। कुछ बसों का समय भी तय है और ये दो से तीन घंटे में रुटों पर चलती है। इसी के चलते हजार से ग्यारह का शेड्यूल है। इस बस स्टैंड के मुख्य द्वार पर ही सूरज ढलते ही निजी ऑपरेटरों की बसें खड़ी होना शुरू हो जाती हैं। बसों की साफ -सफाई से लेकर धुलाई तक यहीं होती है। निजी बस ऑपरेटरों ने इसे अवैध अड्डा बना डाला है। इन बसों के खड़े होने से यात्रियों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
सरवटे बस स्टैंड पर सुरक्षाकर्मी यात्रियों व उनके परिजनों को परिसर में वाहन लेकर प्रवेश नहीं करने देते हैं और बेसमेंट में बनी पार्किंग में वाहन पार्क करना होता है। वहीं निजी बस ऑपरेटर मुख्य द्वार के अलावा परिसर में भी शाम के बाद अपनी बसों को पार्क कर रहे हैं।
बसों को खड़े करने का प्रावधान नहीं है। बस चालकों को कई बार समझाईश दी गई, हवाएं भी निकाल दी गई। लेकिन बस खड़ी होना बंद नहीं हो रही है। सुरक्षा गार्ड मना करते हैं, लेकिन ये मानते नहीं। हमने ट्रैफिक एसपी को भी इस संबंध में अवगत करा दिया है। यहां पर एसआइ स्तर के अधिकारी की ड्यूटी लगना चाहिए और चालानी कार्रवाई भी की जाना चाहिए तभी ये बसें खड़ी होना बंद होंगी।
दिनेश पटेल, प्रभारी सरवटे बस स्टैंड