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यहां पान खाते ही मिल जाते हैं दिल, भाग कर होती है शादी

locationइंदौरPublished: Mar 18, 2019 05:54:55 pm

यहां पान खाते ही मिल जाते हैं दिल, भाग कर होती है शादी

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यहां पान खाते ही मिल जाते हैं दिल, भाग कर होती है शादी

इंदौर. होली के पहले आदिवासी अंचल धार, झाबुआ, खरगोन, देवास में भगोरिया का रंग जमकर चढ़ रहा है। भगोरिया हाट-बाजारों में युवक-युवती सजधज कर भावी जीवनसाथी को ढूंढऩे आते हैं। इनमें आपसी रजामंदी जाहिर करने का तरीका भी बेहद निराला होता है। सबसे पहले लडक़ा लडक़ी को पान खाने के लिए देता है। यदि लडक़ी पान खा लें तो हां समझी जाती है। इसके बाद लडक़ा लडक़ी को लेकर भगोरिया हाट से भाग जाता है और दोनों विवाह कर लेते हैं। इसी तरह यदि लडक़ा लडक़ी के गाल पर गुलाबी रंग लगा दे और जवाब में लडक़ी भी लडक़े के गाल पर गुलाबी रंग मल दे तो भी रिश्ता तय माना जाता है।
चरम पर दिखा भगोरिया का उत्साह

रायपुरिया के हाट बाजार में भगोरिया का उत्साह चरम पर दिखाई दिया। युवतियां रंग-बिरंगे परिधानों में नजर आई। इसके साथ ही आधुनिकता का रंग भी दिखाई दिया। ग्रामीणों ने झूले-चकरी का आनंद लिया। जयस संगठन ने भगोरिया हाट में गेर निकाली। इसमें युवा शामिल हुए। एक-दूसरे को रंग गुलाल लगाकर हाट का मजा लिया।
मंत्री-विधायक ने बजाई मांदल

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टांडा के हाट में भगोरिया का पर्व आदिवासी समाज ने धूमधाम से मनाया। सुबह 11 से शाम 4 बजे तक भगोरिया का रंग खूब जमा। देवली से ऋणमुक्तेश्वर महादेव मंदिर तक भगोरिया हाट लगा। इसमें वन मंत्री एवं विधायक उमंग सिंघार ने मांदल बजाई और समाजजनों के साथ थिरके भी। भगोरिया हाट में पारंपरिक वेशभूषा पहने वनवासी क्षेत्र के लोग ढोल-मांदल की थाप पर खूब थिरके और खाने-पीने का भी जमकर आनंद उठाया। जलेबी,आइसक्रीम, सेव, मिर्च के भजिए के साथ-साथ पान के बीड़े से अपने होठ लाल किए। राजगढ़ में विधायक प्रताप ग्रेवाल ने मांदल बजाई।
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बागली में भी भगोरिया की धूम

बागली में भगोरिया पर्व रविवार को हाट बाजार में मनाया गया। लोक नृत्य के साथ पारंपारिक वाद्य यंत्र बजाए गए, जिनमें बांसुरी, ढोल मंजीरा, थाली आदि शामिल रहते हैं। बांसुरी का विशेष आकर्षण रहता है। हाथों में परंपरागत तीर कमान, भाला, गोफन फलिया आदि रहता है। महिलाएं विशेष रूप से शृंगार कर परंपरागत आभूषण जिनमें बाजूबंद, खंगाली, पैरों में पायल हाथों में चांदी से बनी विशेष प्रकार की चूड़ी माथे पर बोर एवं परंपरागत वस्त्र पहनकर पर्व में उत्साह से शामिल हुई। बाजार में घूमकर शाम के समय मैदान पर एकत्रित होकर नृत्य गान किया गया।

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