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झूठी जानकारी देकर लिया एडमिशन, 25 साल बाद यूनिवर्सिटी निरस्त डिग्री करेगी

locationइंदौरPublished: Feb 16, 2019 09:43:19 am

रिकॉर्ड में भी कुछ नहीं मिला

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झूठी जानकारी देकर लिया एडमिशन, 25 साल बाद यूनिवर्सिटी निरस्त डिग्री करेगी

इंदौर. देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के आईआईपीएस में 25 साल पहले हुए एक एडमिशन का मामला सोमवार को होने वाली कार्यपरिषद की बैठक में रखा जाएगा। झूठी जानकारी के आधार पर हुए एडमिशन की शिकायत राजभवन को की गई थी। जांच में शिकायत सही पाई गई। राजभवन ने प्रशासनिक, आर्थिक और शैक्षणिक अनियमितता मानते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। आईआईपीएस में 1994 में मनीष राठौड़ ने एडमिशन एनआरआई कोटे में एडमिशन लिया था। दो सेमेस्टर की पढ़ाई करने के बाद मनीष ने विभाग में जानकारी दी कि उनकी मां यूनिवर्सिटी की कर्मचारी है, इसलिए एम्प्लॉयी कोटे का लाभ देते हुए फीस में छूट मिलना चाहिए। 2011 में राजभवन को शिकायत हुई कि मनीष मैनेजमेंट कोर्स के लिए निर्धारित पात्रता पूरी नहीं करता। न तो एनआरआई कोटे के लिए किसी ने स्पॉन्सर किया था और न ही उसके पास एम्प्लॉयी कोटे से संबंधित कोई दस्तावेज है। राजभवन ने इस शिकायत की जांच के निर्देश दिए। यूनिवर्सिटी ने डॉ.आनंद सप्रे, डॉ.यामिनी करमरकर और सुरेश पाटीदार को जांच सौंपी थी। जांच रिपोर्ट में शिकायत सही पाई गई। कमेटी ने यह भी पाया कि तब एडमिशन के लिए निर्धारित न्यूनतम ५५ फीसदी अंक भी नहीं थे। अगस्त 2012 में ही राजभवन ने इसे प्रशासनिक, आर्थिक और शैक्षणिक अनियमितता मानते हुए कार्यपरिषद में मु²ा लाकर कार्रवाई के लिए लिखा था, लेकिन अलग-अलग कारणों से यह मामला टलता रहा। हाल ही में फिर राजभवन से पत्र मिला। इसके बाद यूनिवर्सिटी ने अगली कार्यपरिषद के एजेंडे में यह मुद्दा शामिल किया है। जानकारों के अनुसार रिपोर्ट के आधार पर कार्यपरिषद डिग्री निरस्त करने का निर्णय ले सकती है।
-जांच में पाया कि मनीष राठौड़ ने पहले एनआरआई कोटे में एडमिशन लिया था। बाद में एम्प्लॉयी कोटे का लाभ लेकर फीस में भी छूट हासिल की। यह मु²ा कार्यपरिषद की बैठक में रखा जा रहा है।
डॉ. अजय वर्मा, रजिस्ट्रार, डीएवीवी
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