script111 बरस पहले आया था जलजला, पेड़ ने बचाई थी 150 जानें | Hyderabad was victim of flood 111 years ago | Patrika News

111 बरस पहले आया था जलजला, पेड़ ने बचाई थी 150 जानें

locationहैदराबाद तेलंगानाPublished: Sep 28, 2019 10:07:51 pm

Submitted by:

Nitin Bhal

Great Musi flood of 1908: हैदराबाद के इतिहास में ठीक 111 साल पहले 28 सितम्बर का दिन दर्दनाक घटना के रूप में दर्ज है। हैदराबाद की एक महत्वपूर्ण मूसी नदी में आई बाढ़ ‘ग्रेट मूसी फ्लड’ को याद कर…

111 बरस पहले आया था जलजला, पेड़ ने बचाई थी 150 जानें

111 बरस पहले आया था जलजला, पेड़ ने बचाई थी 150 जानें

हैदराबाद (मोईनुद्दीन खालिद) . हैदराबाद के इतिहास में ठीक 111 साल पहले 28 सितम्बर का दिन दर्दनाक घटना के रूप में दर्ज है। हैदराबाद की एक महत्वपूर्ण मूसी नदी में आई बाढ़ ‘ग्रेट मूसी फ्लड’ ( Great Musi Flood of 1908 ) को याद कर आज भी लोग सिहर जाते हैं। दरअसल इसी दिन हजारों लोगों की जिंदगी बिखर गई थी। वर्ष 1908 में 28 सितंबर को हैदराबाद की मूसी नदी के तट पर विशाल सैलाब आया था, जिसमें हैदराबाद की एक चौथाई आबादी बेघर हो गई थी और करीब 50 हजार लोगों की जानें चली गई थीं।

आमतौर पर ‘तुगियानी सितंबर’ कहलाने वाली इस बाढ़ की वजह से दोनों शहरों को जोडऩे वाले तीन अहम पुल अफजल गंज, मुसलिम जंग पुल और चादरघाट पुल टूट गए। सिर्फ पुराना पुल ही इस बाढ़ की मार को सह सका। इस बाढ का ज्यादा असर अफजल गंज के कौसलवाडी और घांसी बाजार में देखने को मिला।

इतिहासकार मोहम्मद सफीउल्लाह ने पत्रिका को बताया कि तत्कालीन निजाम नवाब महबूब अली ने इस तबाही के बाद नगर की मरम्मत के लिए 4.5 लाख रुपए दान दिए थे और तीन महीनों तक 80 हजार लोगों के खाने का इंतजाम किया था।

सरोजिनी नायडू ने भी किया जिक्र

111 बरस पहले आया था जलजला, पेड़ ने बचाई थी 150 जानें

भारत की नाइटिंगेल की तौर पर जाने जाने वाली सरोजिनी नायडू ने अपनी कविता ‘द टियर्स ऑफ आसिफ’ में हैदराबाद की इस दिल दहला देने वाली घटना का जिक्र किया था। 28 सितंबर १९०८ के दिन जब मूसी नदी ने तबाही मचाई थी और उसकी खबरें हैदराबाद रियासत के निजाम मीर महबूब अली खान तक पहुंचीं, तो उन्होंने हालात का ख़ुद निरीक्षण करने का मन बनाया। वे जब हैदराबाद की सडक़ों पर निकले, तो वहां की तबाही को देखकर अपने आप पर काबू नहीं पा सके। इस दौरे के दौरान स्वरकोकिला सरोजिनी नायडू की कविता के अनुसार हैदराबाद रियासत के छठे निजाम मीर महबूब अली भरी बस्ती के सामने, फूट-फूट कर रोने लगे। उनकी जनता का दुख उनसे सहा नहीं जा रहा था। हैदराबाद पर नाजिल हुई यह आसमानी आफत यहां के निजामिया अस्पताल और उसमें एडमिट होने वाले मरीजों को भी बहा ले गई थी।

पेड़ ने बचाई डेढ़ सौ जानें

111 बरस पहले आया था जलजला, पेड़ ने बचाई थी 150 जानें

हैदराबाद के आज के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, उस्मानिया अस्पताल में एक ऐतिहासिक इमली का पेड़ मौजूद है, जो करीब 300 साल से है। यह पेड़ भी इस सैलाब का गवाह माना जाता है। इस पेड़ ने करीब डेढ़ सौ लोगों की जानें बचाई थी। इस ऐतिहासिक पेड़ की टहनियों ने हैदराबाद के एक उर्दू शायर अमजद हैदराबादी की भी जान बचाई थी। अमजद की माता, पत्नी और बेटी उनकी आंखों के सामने सैलाब के पानी में बह गए थे। उन्होंने “कयामत-ए-सुगऱा” अर्थात ‘छोटा प्रलय’ के नाम से एक कविता लिखी और उन हालात का पूरा बयान भी दर्ज किया।

फिलहाल गंदा नाला बन गई नदी

111 बरस पहले आया था जलजला, पेड़ ने बचाई थी 150 जानें

आज मूसी नदी एक गंदे नाले में बदल चुकी है। पिछले दिनों हैदराबाद में आई बाढ़ का मूसी नदी कारण तो नहीं बनी लेकिन हैदराबाद शहर का अनियंत्रित बढ़ता विस्तार इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि अनियंत्रित और अनियोजित नगर का विस्तार जनता को कभी भी मुसीबत में डाल सकता है। बीते बुधवार-गुरुवार को बरसे पानी ने 100 साल के रेकॉर्ड को तोड़ दिया था।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो