उन्होंने तेलंगाना राज्य के लोगों के सामने अलग राज्य के आंदोलन के तथ्यों को प्रस्तुत करने के मुद्दे पर बहस के लिए आजाद को चुनौती दी। उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस को टीआरएस के प्रयासों के कारण ही अलग तेलंगाना राज्य की मांग को स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ा। सांसद विनोद ने कहा कि कांग्रेस के नेताओं ने चुनावी लाभ के लिए झूट बोलने और अतीत में अपनी गलतियों के लिए टीआरएस को दोषी ठहराया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के झूठे प्रचार के बावजूद, लोगों ने टीआरएस को वोट दिया। उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव द्वारा शुरू किये गए विकास और कल्याणकारी कार्यक्रमों के लिए लोग फिर से टीआरएस को ही वोट देंगे।
इससे पहले कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि स्वतंत्र तेलंगाना राज्य के गठन में सत्तारूढ़ टीआरएस का एक रत्तीभर भी हाथ नहीं था। आजाद ने यह भी आरोप लगाया कि टीआरएस ने मुसलमानों को 12 फीसदी आरक्षण देने की वादे पर जनता के साथ ‘धोखा’ किया। केंद्र में भाजपा नीत सरकार और तेलंगाना में टीआरएस सरकार को ‘करीबी रिश्तेदार’ बताते हुए कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि दोनों ने रोजगार पैदा करने को लेकर बड़े वादे किये थे लेकिन वे विफल हो गए। कांग्रेस ‘परिवारवादी शासन’ के लिए टीआरएस पर हमले कर रही है जबकि टीआरएस कांग्रेस पर ‘वंशवाद’ का आरोप लगाती है, इस सवाल पर आजाद का कहना है कि इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को उनके माता-पिता ने नियुक्त नहीं किया था जो कि टीआरएस के मामले में दिखाई देता है। सत्ताधारी नेता विनोद ने कहा कि लोग अपने तेलंगाना को उस कांग्रेस के हाथों में सौंपने के लिए तैयार नहीं हैं जिसने चार दशकों से तेलंगाना के साथ अन्याय किया है। लोग राज्य का विकास चाहते हैं इसी लिए वे टीआरएस को ही वोट देंगे।