महिला विरोधी है बिल
ओवैसी ने कहा कि इस्लाम में विवाह एक सामाजिक अनुबंध है और इसको दंड प्रावधान के अंतर्गत लाना सरासर गलत है। इसी प्रकार प्रमुख धार्मिक संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी केन्द्रीय सरकार के अध्यादेश को महिला विरोधी बताया है।
अध्यादेश असंवैधानिक
ओवैसी ने कहा कि यह अध्यादेश असंवैधानिक है। यही नहीं संविधान के समानता के अधिकार के खिलाफ है, क्योंकि इसे केवल मुसलमानों के लिए बनाया जा रहा है। अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और महिला संगठनों को सर्वोच्च न्यायालय में इस अध्यादेश के खिलाफ चुनौती देनी चाहिए। जमात-ए-इस्लामी हिन्द तेलंगाना व ओडिशा के प्रदेश अध्यक्ष हामिद मोहम्मद खान ने कहा कि सरकारी अध्यादेश जल्दबाजी में उठाया गया एक कदम है, जिसको पार्लियामेंट में भी नहीं पास कराया जा सका।
बिल को लेकर बन रही दो राय,स्वाती मालीवाल ने किया स्वागत
तीन तलाक पर केंद्र सरकार की ओर जारी किए गए अध्यादेश को लेकर देश में दो राय बन रही है। जहां ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलमीन के अध्यक्ष असद्दुदीन ओवैसी इसे महिला विरोधी और असंवैधानिक बता रहे है वहीं कई लोग इसके समर्थन में भी उतरे है। इस अध्यादेश के बाबत दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने प्रतिक्रया व्यक्त करते हुए इसे एक सराहनीय कदम बताया है। स्वाति मालीवाल ने कहा कि अब मोदी सरकार को तीन तलाक के बाद हलाला और बहु-विवाह पर कानून बहुत जल्द बनाना चाहिए।