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हुबली

मंदिर के प्रति भक्तों की गहरी आस्था, हर मन्नत होती हैं पूरी, 140 साल पुराना बनशंकरी देवी मंदिर

बनशंकरी देवी मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केन्द्र है। ऐसी मान्यता है कि यदि सच्ची श्रद्धा भाव के साथ कोई मन्नत मांगी जाएं तो जरूर पूरी होती है। यही वजह है कि श्रद्धालु यहां परिवार व स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को लेकर मां के दरबार में आते हैं और मन्नत मांगते हैं।

हुबलीApr 19, 2024 / 06:22 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

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हुब्बल्ली. करीब 140 साल पुराना शहर के अन्चटगेरी ओणी स्थित बनशंकरी देवी मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केन्द्र है। ऐसी मान्यता है कि यदि सच्ची श्रद्धा भाव के साथ कोई मन्नत मांगी जाएं तो जरूर पूरी होती है। यही वजह है कि श्रद्धालु यहां परिवार व स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को लेकर मां के दरबार में आते हैं और मन्नत मांगते हैं। मन्नत फलीभूत होने पर वे पूजा-पाठ करवाते हैं। जनवरी या फरवरी के महीने में वार्षिक बनशंकरी उत्सव पर विशेष आयोजन किया जाता है। हर महीने की पूर्णिमा के दिन भी पालकी से परिक्रमा करवाई जाती है।
काले पत्थर से बनी प्रतिमा
मंदिर में बनशंकरी माता की काले पत्थर से बनी प्रतिमा है। मंदिर के प्रति भक्तों की गहरी आस्था है। पुजारी श्रीनिवास एम. कोन्गी का परिवार ही पिछले तीस साल से मंदिर की पूजा कर रहे हैं। नेकार देवांग सेवा समिति हुब्बल्ली मंदिर का संचालन करती है। वर्तमान में दीपक करमारी समिति के अध्यक्ष है। शारदीय नवरात्रि का पर्व यहां खास होता है। इन दिनों में मां के अवतार की पूजा की जाती है। उस दौरान मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ रहती है।
बनशंकरी का प्रमुख मंदिर बदामी के पास
वैसे बनशंकरी देवी मंदिर या बनशंकरी मंदिर का प्रमुख मंदिर कर्नाटक के बागलकोट जिले में बदामी के पास चोलचागुड्डा में स्थित है। तिलकारण्य वन में स्थित होने के कारण मंदिर को लोकप्रिय रूप से शाकंभरी, बाणाशंकरी या वनशंकरी कहा जाता है। मंदिर की देवी को शाकंभरी भी कहा जाता है, जो देवी पार्वती का अवतार हैं। यह मंदिर कर्नाटक के साथ-साथ पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र से भी भक्तों को आकर्षित करता है। मूल मंदिर का निर्माण ७वीं शताब्दी के बादामी चालुक्य राजाओं ने किया था, जो देवी बनशंकरी को अपनी संरक्षक देवी के रूप में पूजते थे। मंदिर में होने वाले वार्षिक बनशंकरी उत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम, नाव उत्सव के साथ-साथ रथ यात्रा भी शामिल होती है, जब मंदिर की देवी को रथ में शहर के चारों ओर घुमाया जाता है। बांसखरी माँ शाकंभरी देवी का ही एक रूप है जिसका वास्तविक, मुख्य एवं प्राचीन मंदिर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में स्थित है। इसे शक्तिपीठ शाकंंभरी देवी के नाम से भी जाना जाता है। बनशंकरी या वनशंकरी दो संस्कृत शब्दों से बना है वाना यानी जंगल और शंकरी यानी शिव, पार्वती की पत्नी।

हर मनोकामना पूर्ण करती हैं माता
मां के प्रति भक्तों की अपार श्रद्धा है। मां से यदि सच्चे मन से कुछ भी मांगा जाए तो मां जरूर देती है। मंदिर की खासियत यह है कि इस मंदिर में आकर मां से जो भी मन्नत मांगी जाती है वह जरूर पूरी होती है। सुखी जीवन, उत्तम स्वास्थ्य समेत अन्य मन्नतें यहां पूरी हुई है।
  • श्रीनिवास एम. कोन्गी, पुजारी, बनशंकरी माता मंदिर, हुब्बल्ली।

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