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कभी सड़कों पर सोने को मजबूर था ये शख्स, आज है बड़ा पत्रकार

Published: Aug 19, 2019 11:35:56 am

Submitted by:

Priya Singh

10 साल की उम्र में सिर से उठ गया था पिता का साया
बाकी लड़कों से अलग था इस बच्चे का जीवन
आज हैं मुंबई के पहले ट्रांसजेंडर पत्रकार

mumbai first transgender journalist

नई दिल्ली। हम दुनिया में किसी से भी जीत सकते हैं लेकिन किसी से हारते हैं जो वो अपने ही होते हैं। कोई क्या करे जब उसके अपने लोग ही उसे समझ न पाएं। ये कहानी है ज़ोया की जिसने दुनिया तो जीत ली लेकिन अपने परिवार, दोस्तों और पड़ोसियों से हार गई। लेकिन उसे आज इन सब से हारने का मलाल नहीं है उसे है तो बस गर्व! आज अपने पैरों पर खड़ी होकर एक अलग पहचान बनाने का। ज़ोया बताती हैं वो बाकी लड़कों से अलग थीं। 10 साल की उम्र में पिता का हाथ सिर से उठ गया और मां शराब के आगोश में चली गई। हर वक्त नशे में चूर मां हर किसी से लड़ लिया करती। पिता के चले जाने के बाद मां के साथ ज़ोया और उनके भाई-बहनों को घर से निकाल दिया गया और मां के बर्ताव ने उन्हें सड़कों, रेलवे स्टेशनों, और पुल पर सोने को मजबूर कर दिया।

zoya

10 साल उम्र में ज़ोया समझ गईं थीं कि उन्हें भगवान ने गलत शरीर दे दिया है। इसी उम्र में उनके बर्ताव में कुछ बदलाव देखने के बाद उनकी मां को लगा उनके ऊपर भूत का साया है और उस बला से छुटकारा दिलाने के लिए उनकी मां उन्हें दुर्गा के पास ले गई। बस उसी दिन ज़ोया ने खुद को ढूंढ लिया। ये पहला मौका था जब ज़ोया ने किसी किन्नर को देखा था। दुर्गा से मिलने पर पहली बार ज़ोया ने खुद को सारे बंधनों से मुक्त पाया। बिना किसी हिचकिचाहट के ज़ोया ने उनके समुदाय को स्वीकार कर लिया।

ज़ोया ने इस सच्चाई को स्वीकार कर लिया था लेकिन अब बारी थी उनके परिवार को समझने की। हिम्मत जुटाने के बाद ज़ोया ने खुद में आ रहे बदलाव की बात अपनी मां को बताई। ये बात सुनते ही उनकी मां ने उन्हें ठुकरा दिया साथ ही दोस्तों, परिवार और सभी जानने वालों ने उनसे किनारा कर लिया। लोगों की नफरत को स्वीकारते हुए ज़ोया अब बदलने को तैयार थी उसने अपने बाल बढ़ा लिए, लिपस्टिक लगाई और एक लड़की का रूप धारण कर लिया। बिलकुल वैसा ही जैसा वो हमेशा से चाहती थी।

abandoned child

हुमंस ऑफ बॉम्बे से अपने जीवन की कहानी बताते हुए ज़ोया के उस दिन का ज़िक्र किया जब एक बार ट्रेन में पुलिस से उनकी बहस हो गई। बहस के बाद पुलिस उन्हें और उनके साथियों को पकड़कर ले गई। उनके साथ बर्बरता की। ज़ोया ने इस मामले की शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

अब ज़ोया हर दिन अपने जीवन की सारी कसौटियों को हंसकर पार कर रही थीं। एक समय की बात है कॉलेज के कुछ छात्रों ने उन्हें एक डॉक्यूमेंट्री करने के लिए राज़ी कर लिया। इससे उनमें आत्मविश्वास आया और बस यहीं से शुरू हुआ उनकी सफलता का सफर। इसके बाद उन्हें एक हिंदी सीरियल में काम करने का मौका मिला। सीरियल के बाद उन्होंने एक फिल्म में भी अभिनय किया जिसके लिए उन्हें पुरस्कार भी मिला। एक न्यूज़ चैनल के मालिक उनसे प्रभावित हुए और उन्हें पत्रकार बनने का मौका दिया। आज ज़ोया मुंबई की पहली ट्रांसजेंडर पत्रकार हैं। ज़िंदगी में अब तक ज़ोया ने जितने उतार-चढ़ाव देखे हैं उन्हें कुछ पक्तियों में बयान नहीं किया जा सकता। बस इतना जान लेना ज़रूरी है कि उतनी सारी कठिनाइयों के बाद भी आज अगर वो खुद से प्यार कर पाई हैं तो बस अपने आत्मविश्वास के दम पर।

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