खास बात यह है कि लगभग पचास साल से खेती करते आ रहे जगदीश अपनी फसलों के लिए खुद ही खाद और बीज तैयार करते हैं। जगदीश को खेत और खेती विरासत में मिला है। वह अपने दो हेक्टेयर खेत में अनार और नींबू से लेकर बेल और गुलाब के साथ-साथ गोभी की फसल भी उगाते हैं। दिलचस्प बात यह है कि अपनी खेती के लिए वह दिन रात मेहनत करते हैं और हर वो जतन करते हैं जिससे बढ़िया पैदावार मिल सके। इसी का नतीजा है कि हाल ही में उनकी गोभी की खेती के लिए उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रेकॉर्ड्स में शामिल किया गया है।
जगदीश की मेहनत का ही नतीजा है कि उनके खेत में उग रही गोभियों का आकार भारत के अलावा बाकी देशों में उगने वाली गोभियों से भी कहीं ज्यादा बड़ा है। अपनी गांव से खासा लगाव रखने वाले जगदीश ने अपने गांव के नाम पर ही इस फूलगोभी का नाम भी ‘अजीतगढ़ सलेक्शन’ रखा है। इसकी खासियत सिर्फ इसका आकार नहीं, बल्कि यह भी है कि इसे गर्म तापमान में भी उगाया जा सकता है। इसके अलावा इसका बीज ऐसी परिस्थितियों में तैयार किया गया है कि यह बीमारी व कीटों से अपनी प्रतिरोधी क्षमताओं के कारण लड़कर खुदको सुरक्षित रख सकती है।
गिनीज बुक में दर्ज होने का है सपना
जीवन के 70 वसंत देख चुके जगदीश कहते हैं, उनके खेत में अब तक 25.5 किलोग्राम की गोभी उग चुकी है। जबकि गिनीज बुक में 27.5 किलोग्राम की गोभी का रिकॉर्ड दर्ज है। मेरी कोशिश है कि मैं जल्द ही इस रिकॉर्ड को तोड़ कर नया रिकॉर्ड दर्ज करूं। हालांकि एक अच्छी चीज यह है कि इस फूलगोभी को साल भर में तीन बार उगाया जा सकता है। उनकी इस पहल ने उन्हें इस फूलगोभी की प्रजाति के लिए आईपीआर (इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स) का भी धारक बना दिया है। इनके द्वारा तैयार किए गए बीजों की राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों जैसे गुजरात और महाराष्ट्र में भी काफी मांग है।
राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री खा चुके हैं जगदीश की गोभी
जगदीश अपने खेत में पैदा हुई गोभी पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा, एपीजे अब्दुल कलाम, प्रणव मुखर्जी, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, वर्तमान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सहित पूर्व राज्यपाल मार्गरेट अल्वा को भी भेंट कर चुके हैं। जगदीश को 2001 में ग्रासरूट्स इनोवेशन अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।