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सरदार पटेल की मूर्ति बनवाकर मोदी ने मोल ले ली ये मुसीबतें, 2019 की राह हो सकती है मुश्किल

locationनई दिल्लीPublished: Oct 31, 2018 01:45:36 pm

Submitted by:

Arijita Sen

इस प्रतिमा के निर्माण से देश को क्या फायदा और नुकसान होगा, सोशल मीडिया पर इसकी बहस तेज हो गई है।

statue of unity

सरदार पटेल की मूर्ति बनवाकर मोदी ने मोल ले ली ये मुसीबतें, 2017 की राह हो सकती है मुश्किल

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश के पहले गृहमंत्री और लौह पुरुष की उपाधि प्राप्त सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया है।

अनावरण के साथ ही सरदार पटेल की इस आदमकद प्रतिमा ने फिलहाल दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा होने का रिकार्ड अपने नाम कर लिया लेकिन अनावरण के साथ ही इस प्रतिमा के निर्माण से देश को क्या फायदा और नुकसान होगा, सोशल मीडिया पर इसकी बहस तेज हो गई है।

साथ ही इस बात की भी आशंका है कि प्रतिमा के अनावरण के साथ ही विश्व भर में एक और भेड़ चाल शुरू हो जाएगी और हर एक देश अपने अर्थव्यवस्था का एक बड़ा भाग मूर्तियों के निर्माण में खर्च करके यह रिकार्ड अपने नाम पर करने में लग जाएगा।

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जिस स्थान पर लौहपुरुष सरदार पटेल की प्रतिमा बनाई गई है। वहां के स्थानीय लोग भी सरकार के इस फैसले से खुश नहीं हैं। लोगों ने बकायदा प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि ‘इन जंगलों, नदियों, झरनों, जमीन और खेती ने सदियों से हमारी मदद की है. हम इन्हीं के बल पर अपना जीवन जी रहे थे. लेकिन अब सब बर्बाद हो गया है और इस बर्बादी पर खुशियां मनाई जा रही हैं।’

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सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि सरदार पटेल की इस मूर्ति के निर्माण में 2989 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इन पैसों से देश के युवाओं के लिए काफी रोजगार पैदा किए जा सकते थे। इसके अलावा इन्फ्रास्ट्रक्चर को और भी बेहतर ढंग से विकसित किया जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ बल्कि एक विशालकाय मूर्ति का निर्माण हुआ है, जिसका लाभ दूर-दूर तक समझ नहीं आता है।

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इस मूर्ति को बनाने का काम 27 अक्टूबर 2014 में लार्सन एंड टर्बो कंपनी ने 2989 करोड़ की बोली लगाकर हांसिल की थी। इसके बाद इसको बनाने में करीब 2500 मजदूरों और 200 इंजीनियरों ने अपना योगदान दिया। जिसमें से ज्यादातर चीनी मजदूर और एक्सपर्ट शामिल थे, जबकि कई बार सार्वजनिक मंचों से पड़ोसी मुल्क चीन से सामान आयात न करने की हिदायत दी जाती रही है, लेकिन सरदार पटेल की इस प्रतिमा के निर्माण में चीन की मदद लेना आम लोगों की समझ से परे है।

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सोशल मीडिया में जिस बात पर सबसे ज्यादा बहस हो रही है वो है कि प्रतिमा के निर्माण में जो पैसा लगा है वो देश के आम लोगों द्वारा दिए गए टैक्स का पैसा है। ऐसे में सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि इन पैसों के इस्तेमाल के पहले लोगों से राय ली जाती कि क्या देश में इतनी बड़ी प्रतिमा बनाने की जरूरत है और अगर जरूरत है भी तो लोगों को इससे क्या फायदा होगा। यह बताना सरकार की जिम्मेदारी है।

लोगों का तो यहां तक कहना है कि मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करने में भारत सरकार और गुजरात सरकार ने दिन-रात एक कर दिया और तय समय में इसे पूरा कर लिया लेकिन पिछली सरकार के समय में शुरू की गई कई ऐसी योजनाएं हैं जिनको प्राथमिकता के साथ पूरा करने की जरूरत थी। लोगों का गुस्सा इस बात पर भी है कि कि जनता के पैसों से तैयार की गई इस प्रतिमा के दीदार के लिए भी लोगों को अपनी जेब ढीली करनी होगी।

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