14 घंटे सड़क किनारे बैठकर लोगों के जूते—चप्पल सिलती है महिला
देश की राजधानी दिल्ली से सटा साहिबाबाद। श्याम पार्क मेन इलाके में सड़क किनारे चादर बिछाकर बैठी एक महिला। उम्र 85 के पार आैर दिल में सिर उठाकर जीने का जज्बा। इसी तरह 14 घंटे बैठकर वह लोगों के जूते—चप्पल सिलने का काम करती है।
देश की राजधानी दिल्ली से सटा साहिबाबाद। श्याम पार्क मेन इलाके में सड़क किनारे चादर बिछाकर बैठी एक महिला। उम्र 85 के पार आैर दिल में सिर उठाकर जीने का जज्बा। इसी तरह 14 घंटे बैठकर वह लोगों के जूते—चप्पल सिलने का काम करती है।
दूसरों के सामने हाथ फैलाना नहीं था मंजूर
दरअसल, महिला का इस दुनिया में अपना कोई भी नहीं है। महिला को ये बात कतई मंजूद नहीं थी कि वह दूसरों के सामने हाथ फैलाए। उसने सिर उठाकर जीने के लिए खुद कमाकर खाने का फैसला लिया। वह सड़क किनारे लोगों के जूते—चप्पल सिलती है, जिससे उसका रोज का खर्चा और पेट की भूख शांत होती है। महिला उन तमाम लोगों के लिए संदेश है जो कोई काम नहीं मिलने से हताश हो जाते हैं और मजबूरी में कई बार गलत कदम तक उठा लेते हैं।
दरअसल, महिला का इस दुनिया में अपना कोई भी नहीं है। महिला को ये बात कतई मंजूद नहीं थी कि वह दूसरों के सामने हाथ फैलाए। उसने सिर उठाकर जीने के लिए खुद कमाकर खाने का फैसला लिया। वह सड़क किनारे लोगों के जूते—चप्पल सिलती है, जिससे उसका रोज का खर्चा और पेट की भूख शांत होती है। महिला उन तमाम लोगों के लिए संदेश है जो कोई काम नहीं मिलने से हताश हो जाते हैं और मजबूरी में कई बार गलत कदम तक उठा लेते हैं।
न दें एेसे लोगों को भीख किसी मार्केट, रेड सिग्नल, चौराहे के पास खड़े होते ही आपके पास दो—चार ऐसे लोग हाथ फैलाते हुए भीख मांगने चले आएंगे जो हाथ—पैर, शरीर से पूरी तरह से फिट होते हैं। दरअसल, भीख मांगना भी आजकल बिजनेस बन चुका है। बिना किसी मेहनत के अच्छी कमाई हो जाती है। ऐसे में जरूरी है कि हम ऐसे लोगों को भीख भी देने से बचें।