गुवाहाटी ( Guwahati ) के एक निजी अस्पताल के वार्ड बॉय अहमद ने अपने दोस्त को परेशान देखकर पूछा कि क्या दिक्कत है। भगवती की समस्या देखते हुए तपश तुरंत अपना खून डोनेट करने के लिए राज़ी हो गए। अहमद से पहले कई लोग तपश को रक्त दान करने से इंकार कर चुके थे। तपश बार-बार अहमद को कहता रहा कि वह ऐसा न करे वह रोज़े के कारण कमज़ोर हो जाएगा। अहमद के हां करने पर तपश को ख़ुशी तो थी लेकिन वह यह नहीं चाहता था कि उसका रोज़ा टूटे। लेकिन मौके की नज़ाकत को देखते हुए दोनों दोस्त असम शहर के अस्पताल पहुंचे।
50 वर्षीय बिज़नेसमैन रंजन गोगोई के पेट में दो ट्यूमर थे। उनका ऑपरेशन किया जाना था जिसमें उन्हें ओ पॉजिटिव खून की ज़रुरत थी। अहमद ने एक यूनिट खून देकर एक जान बचाई लेकिन उन्हें मजबूरन रोज़ा तोड़ना पड़ा। गोगोई के ट्यूमर का ऑपरेशन सफल रहा जिसका पूरा का पूरा श्रेय अहमद को जाता है। गोगोई का कहना है कि “मैं अहमद का शुक्रगुज़ार हूं, एक अंजान शख्स होने के बावजूद उन्होंने मेरी मदद की, साथ ही इसके बदले उन्होंने कुछ लेने से भी इंकार कर दिया।”