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रमजान के पाक महीने में इस शख्स ने तोड़ा अपना रोज़ा, क्योंकि एक हिंदू की जान बचानी थी

locationनई दिल्लीPublished: May 11, 2019 02:46:06 pm

Submitted by:

Priya Singh

अपने हिंदू दोस्त को परेशान देख मुस्लिम भाई ने तोड़ा रोज़ा
रोज़ा होने के बावजूद किया रक्त दान
पैसे भी लेने से लिया इंकार

in assam man breaks ramzan fast roza to donate blood and save a life

रमजान के पाक महीने में इस शख्स ने तोड़ा अपना रोज़ा, क्योंकि एक हिंदू की जान बचानी थी

नई दिल्ली। एक मुस्लिम शख्स ने रमजान ( ramadan ) के पाक महीने में अपना रोजा तोड़ दिया। क्योंकि एक शख्स की जान खतरे में थी। 26 वर्षीय पानुल्ला अहमद बीते दिन सहरी खाने के बाद आराम कर रहे थे। तभी उन्होंने देख कि उनका रूममेट तपश भगवती परेशान बैठा था। भगवती स्वैच्छिक रक्तदाताओं के एक समूह के सदस्य हैं। उन्हें पिछली रात फोन आया कि किसी को ओ पॉजिटिव ( O positive blood ) ग्रुप का दो यूनिट खून चाहिए। एक परिवार के सदस्य को ओ पॉजिटिव खून की बेहद ज़रुरत थी लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। यही वजह थी कि तपश बेहद बेबस और परेशान थे। एक अस्पताल में ऑपरेशन थियेटर में तकनीशियन के रूप में काम करने वाले तपश ने हर संभव कोशिश कर ली लेकिन उन्हें ओ पॉजिटिव खून नहीं मिल रहा था। तपश को यह पता था कि पानुल्ला अहमद उसकी मदद कर सकता है लेकिन वह रोज़ा था और अगर वह ऐसे में खून देता तो वह कमज़ोर हो जाता।

गुवाहाटी ( Guwahati ) के एक निजी अस्पताल के वार्ड बॉय अहमद ने अपने दोस्त को परेशान देखकर पूछा कि क्या दिक्कत है। भगवती की समस्या देखते हुए तपश तुरंत अपना खून डोनेट करने के लिए राज़ी हो गए। अहमद से पहले कई लोग तपश को रक्त दान करने से इंकार कर चुके थे। तपश बार-बार अहमद को कहता रहा कि वह ऐसा न करे वह रोज़े के कारण कमज़ोर हो जाएगा। अहमद के हां करने पर तपश को ख़ुशी तो थी लेकिन वह यह नहीं चाहता था कि उसका रोज़ा टूटे। लेकिन मौके की नज़ाकत को देखते हुए दोनों दोस्त असम शहर के अस्पताल पहुंचे।

50 वर्षीय बिज़नेसमैन रंजन गोगोई के पेट में दो ट्यूमर थे। उनका ऑपरेशन किया जाना था जिसमें उन्हें ओ पॉजिटिव खून की ज़रुरत थी। अहमद ने एक यूनिट खून देकर एक जान बचाई लेकिन उन्हें मजबूरन रोज़ा तोड़ना पड़ा। गोगोई के ट्यूमर का ऑपरेशन सफल रहा जिसका पूरा का पूरा श्रेय अहमद को जाता है। गोगोई का कहना है कि “मैं अहमद का शुक्रगुज़ार हूं, एक अंजान शख्स होने के बावजूद उन्होंने मेरी मदद की, साथ ही इसके बदले उन्होंने कुछ लेने से भी इंकार कर दिया।”

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