ज्ञात रहे कि सूदखोरों की प्रताडऩा से तंग आकर शनिवार देर शाम को सराठे ने फांसी लगाकर आत्महत्या की थी। पुलिस द्वारा 15 घंटे बाद भी सुसाइड नोट उजागर न करने और एफआईआर दर्ज नहीं करने से नाराज परिजनों ने रविवार सुबह सतरस्ता पर अर्थी रखकर चक्काजाम किया। इसके बाद एसडीओपी मोहन सारवान मौके पर पहुंचे और सुसाइड नोट में मौजूद लोगों के नामों का खुलासा कर एफआईआर का आश्वासन दिया तब जाकर चक्काजाम समाप्त कर अंतिम संस्कार किया।
एसडीओपी सारवान ने बताया कि पुलिस को 4 पेज का सुसाइड नोट और कुछ पेज में लेनदेन के हिसाब के दस्तावेज मिले हैं। जिसमें उसने मरने का कारण कर्ज को लेकर प्रताडऩा की बात लिखी है। आत्महत्या से पहले उसके पास धमकी भरे फोन आ रहे थे, जिससे वह परेशान था। पीएम रिपोर्ट में फांसी से मौत की पुष्टि हुई है।
सुबह से लेकर दोपहर तक अर्थी रखकर हुए चक्काजाम के बाद दर्ज हुई एफआईआर के बाद लोगों ने सतरस्ता से ही शवयात्रा निकाली। राजघाट मुक्तिधाम पर दोपहर में मृतक राजेंद्र सराठे के शव का अंतिम संस्कार किया।
सुसाइड नोट में रसूखदार और कांग्रेसी नेताओं के नाम होने के कारण पुलिस इसे छिपाने का प्रयास कर रही है। परिजनों की मांग के बाद भी सुसाइड नोट की कॉपी उन्हें उपलब्ध नहीं कराई गई। ना उसमें लिखी बातों का पूरा खुलासा किया।
मृृतक राजेंद्र सराठे के पुत्र राहुल सराठे का कहना है कि विकल्प डेरिया और उसका भाई कायाकल्प डेरिया से उनके पिता ने मैरिज गार्डन व्यवसाय के लिए करीब 30 लाख रुपए कर्ज पर लिए थे, जिसके एवज में मोटे ब्याज सहित करीब डेढ़ करोड़ रुपए देने के लिए प्रताडि़त कर रहे थे। राजू दिल्लीवाले हलवाई से भी करीब 5 लाख रुपए लिए थे, जिसकी एवज में वह 10 लाख रुपए मांग रहा था। पुलिस ने बताया कि मुकेश से ब्याज पर पैसे नहीं लिए थे लेकिन उसने 10 साल पहले शराबी से गार्डन लिया था उसका पूरा भुगतान नहीं किया इस कारण उसकी ऐसी स्थिति हुई। अन्य लोगों से उसने ब्याज का पैसा लिया था जो चुका नहीं पा रहा के लोगों से पैसा वापस करने के लिए प्रताडि़त कर रहे थे।
मृतक राजेंद्र सराठे ने आत्महत्या करने से पहले सुसाइड नोट और कर्ज के लेनदेन के हिसाब-किताब के साथ ही पत्नी के नाम भी एक पत्र लिखकर छोड़ा है। पुलिस ने इस पत्र का अभी खुलासा नहीं किया है। एसडीओपी मोहन सारवान के मुताबिक समूचे दस्तावेजों की जांच के बाद ही कर्ज समेत