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होशंगाबाद

पितृ पक्ष 2018 : करें पितरों का पूजन, ये हैं श्राद्ध कर्म की तिथियां

24 सितंबर से पितृ पक्ष 2018 की शुरुआत

होशंगाबादSep 22, 2018 / 04:38 pm

sandeep nayak

shradh 2018
होशंगाबाद। इस साल 24 सितंबर से पितृ पक्ष 2018 की शुरुआत पूर्णिमा श्राद्ध से हो रही है। 8 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या के दिन इसका समापन होगा। पितृदोष निवारण या पितरों की पूजा के लिए 15 दिन पूजा की जाती है। जिसमें पितरों की पूजा का विशेष महत्व होता है। इन 15 दिनों में पितरों को याद किया जाता है उनका श्राद्ध-तर्पण प्रक्रिया कराई जाती है। भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर अश्विन अमावस्या तक श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। इस दौरान कुछ वर्जित माने जाते हैं इसलिए इनको करने से बचना चाहिए।
हिन्दू धर्म शास्त्र के अनुसार श्राद्ध को पितृ पक्ष और महालय के नाम से भी जाना जाता है। जिस तिथि को पितरों का गमन (देहांत) होता है उसी दिन पितरों का श्राद्ध किया जाता है। श्राद्ध करने के कुछ नियम भी होते हैं। श्राद्ध पक्ष हिंदी कैलेंडर के अश्विन महीने के कृष्ण पक्ष में आता है। उनका श्राद्ध कर्म पूर्ण विश्वास, श्रद्धा और उत्साह के साथ किया जाना चाहिए। ऐसा करने से पितृों तक हमारा दान ही नहीं बल्कि हमारे भाव भी पहुंचते हैं।
श्राद्ध तीन पीढिय़ों तक होता है।
दरअसल, देवतुल्य स्थिति में तीन पीढिय़ों के पूर्वज गिने जाते हैं। पिता को वासु, दादा को रूद्र और परदादा को आदित्य के समान दर्जा दिया गया है। श्राद्ध मुख्य तौर से पुत्र, पोता, भतीजा या भांजा करते हैं। जिनके घर में कोई पुरुष सदस्य नहीं है, उनमें महिलाएं भी श्राद्ध कर सकती हैं। लेकिन इस दौरान कुछ काम नहीं करने चाहिए वरना श्राद्ध कर्म में कमी मानी जाती है।
तिथि के अनुसार श्राद्ध
24 सितंबर 2018 को पूर्णिमा श्राद्ध
25 सितंबर 2018 को प्रतिपदा श्राद्ध
26 सितंबर 2018 को द्वितीय श्राद्ध
27 सितंबर 2018 को तृतिया श्राद्ध
28 सितंबर 2018 को चतुर्थी श्राद्ध
29 सितंबर 2018 को पंचमी श्राद्ध
30 सितंबर 2018 को षष्ठी श्राद्ध
1 अक्टूबर 2018 को सप्तमी श्राद्ध
2 अक्टूबर 2018 को अष्टमी श्राद्ध
3 अक्टूबर 2018 को नवमी श्राद्ध
4 अक्टूबर 2018 को दशमी श्राद्ध
5 अक्टूबर 2018 को एकादशी श्राद्ध
6 अक्टूबर 2018 को द्वादशी श्राद्ध
7 अक्टूबर 2018 को त्रयोदशी श्राद्ध, चतुर्दशी श्राद्ध
8 अक्टूबर 2018 को सर्वपितृ अमावस्या
श्राद्ध में ये काम न करें
– पितृ पक्ष के दौरान जो पुरुष अपने पितरों को जल अर्पण कर श्राद्ध, पिंडदान आदि देते हैं, उन्हें जब तक पितृ पक्ष चल रहा है तब तक शराब और मांस को भी हाथ नहीं लगाना चाहिए।
– पंडि़तों को जब भी भोजन परोसें तो उन्हें गंदे आसन पर न बैठाएं. वहीं खाना परोसते वक्त कुछ बात न करें और न किसी की प्रशंसा करें। वहीं खाना परोसते वक्त बैठने, खाना रखने आदि के लिए कुर्सी का प्रयोग न करें।
– रात का वक्त राक्षसों का वक्त माना गया है। इसलिए रात में श्राद्ध कर्म नहीं करना चाहिए। वहीं संध्या के वक्त भी श्राद्ध कर्म करना सही नहीं माना जाता है। इसके अलावा युग्म दिनों (एक ही दिन को दो तिथियों का मेल) और अपने जन्मदिन पर भी श्राद्ध नहीं करना चाहिए।
– किसी दूसरे व्यक्ति के घर या जमीन पर श्राद्ध कर्म नहीं करना चाहिए। हालांकि जंगल, पहाड़, मंदिर या पुण्यतीर्थ किसी दूसरे की जमीन के तौर पर नहीं देखे जाते हैं क्योंकि इन जगहों पर किसी का अधिकार नहीं होता है। इसलिए यहां श्राद्ध किया जा सकता है।
– माना जाता है कि श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन करवाना जरूरी होता है। जो इंसान बिना ब्राह्मण के श्राद्ध कर्म करता है, उसके घर में पितर भोजन नहीं करते और श्राप देकर वापस लौट जाते हैं।

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