ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि के पहले जंगल में एक आदिवासी जानवर चराने गया था। थक कर इसी पेड़ के पास टिक कर सो गया। उस आदिवासी ग्रामीण को गठियावाद था। लेकिन जब वह सो कर उठा तो उसका सारा दर्द गायब हो गया। इसी बात को उसने गांव के लोगो को जाकर बताया। तभी आसपास के लोगो ने भी इसे आजमाया। तब से वहां हजारों की संख्या में भीड़ लगी रहती है। उक्त पेड़ के सामने आने के बाद आदिवासी समाज ने सामने आकर इस पर अपना दावा जताया है। समाज का मानना है कि इस पेड़ के झाड़ में बडा़ देव का वास होता है। इसलिए उन्हे इस पेड़ पर अपना झंडा लगाने की अनुमति दी जाए।
पिपरिया शहर के नयागांव के जंगल में महुए का पेड़ है। जहां यह चमत्कारी शक्तियां बताई जा रही हैं। खास बता की यह पेड़ वन विभाग के अंदर आता है। इसलिए इस पेड़ के लिए वनविभाग की टीम को तैनात किया गया है। एसटीआर के बफर जोन में है महुए का पेड़। स्थानीय लोगों का मानना है कि इसमें भगवान शंकर का वास है। इसलिए इसे छूने मात्र से ही कई रोग दूर हो जाते हैं। अब वन विभाग के वन कर्मचारियों ने मानव श्रृंखला बनकर चमत्कारित पेड़ को सुरक्षित कर रहें है। अब वन विभाग ने इसकी सुरक्षा को संभाला है। यहां वन विभाग की टीम मौजूद रहती है।