लैब भेजे दही, पनीर, बेसन, मावा सहित 101 नमूने, 66 की जांच रिपोर्ट में खुलासा 19 खाने लायक नहीं!
होशंगाबादPublished: Jul 20, 2019 08:39:01 pm
सेहत से खिलवाड़ का धंधा-बाजार में बिकने वाले फास्ट फूड आइटमों में पैकिंग और एक्सपाइरी डेट गायब
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एक ओर जहां महंगाई आसमान छू रही है, वहीं पैसा देने के बाद भी लोगों को बाजार में शुद्ध सामान नहीं मिल पा रहा है। इस बात का खुलासा खाद्य सुरक्षा विभाग के आंकड़े कर रहे हैं। पिछले छह महीने में विभाग ने १०१ नमूने लिए हैं, इनमें से १९ खान-पीने की चीजें अवमानक यानी खाने योग्य नहीं बताई गई हैं। इनमें दही, पनीर, मावा, बूंदी, छैना सहित अन्य सामग्री शामिल है। दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली सभी चीजों में धड़ल्ले से मिलावट की जा रही है। खाने से लेकर पीने तक की खानपान सामग्री में मिलावट जारी है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
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सादे पॉलीथिन में बिक रही सामग्री- ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में व्यापारी सादे पॉलीथिन की पैकिंग में खानपान सामग्री बेच रहे हैं। इन पर न तो पैकिंग डेट का उल्लेख है और न ही एक्सपाइरी। इस तरह का खानपान बीमार बना सकता है। इस तरह के मिथ्याछाप वाले मगज लड्डू, पेड़ा, टोस्ट, नमकीन, नमकीन, मैदा, मुरमुरा पोंगा, टोस्ट बेचा जा रहा है।
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कैल्शियम कार्बाइड से पका रहे फल-
सावधान! जिन फलों को खाकर आप सेहत बनाने की सोच रहे हैं, वह कहीं आपको बीमार न कर दें। जी हां, जानकारों की मानें तो बागों से लेकर बाजार तक में कैल्शियम कार्बाइड या गैस के प्रयोग से फलों को पकाने का खेल चल रहा है। इस धंधे में जुटे लोग कम समय में कच्चे फलों को पकाकर बाजार में बेच रहे हैं। बाजार में बिक रहे इस तरह के फ ल सेहत खराब कर सकते हैं।
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एक्सपर्ट व्यू : डा. अतुल सेठा, अध्यक्ष आईएमए।
बीमार बना सकता है एेसा खानपान-बिना एक्सपायरी और पैकिंग डेट वाले खानपान में यह बता पाना मुश्किल होता है कि वह कितना पुराना है। उसकी क्वालिटी खाने योग्य बची भी है या नहीं। इसके अलावा खुला खानपान से बचना चाहिए। एेसा खानपान उपयोग करने से पेट संबंधी बीमारी, उल्टी दस्त होता है। कैल्शियम कार्बाइड से पकाए फ ल खतरनाक होते हैं। लगातार सेवन से गंभीर बीमारियां हो सकती है।
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ठंडे बस्ते में कार्रवाई- केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक दूध में यूरिया मिलाकर बेचा जा रहा है। मामले में खाद्य सुरक्षा विभाग को जांच के आदेश दिए गए थे। आदेश मिलने के बाद आनन-फानन में विभाग ने जांच के नमूने भी लिए थे, लेकिन अब कार्रवाई ठंडे बस्ते में है।
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जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी बोले…
समय-समय पर बाजार में अभियान चलाकर जांच की जाती है। सैंपल जांच के लिए लैबोरेटरी भेजते हैं। अवमानक मिले खानपान के प्रकरणों में जुर्माना भी हुआ है।
-शिवराज पावक, जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी होशंगाबाद।
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जानिए किन चीजों में होती है किसकी मिलावट-
दूध : की मिलावट में सबसे ज्यादा पानी इस्तेमाल किया जाता है।
घी : में जमने वाले वनस्पति तेल मिलाते हैं। इसके अलावा नकली सुगंध और रंग भी मिलाया जाता है।
अनाज : चावल और गेहूं में पत्थर, मिट्टी, रेत इत्यादि उसकी मात्रा बढ़ाने के लिए मिलाए जाते हैं।
आटा : गेहूं के आटे में सस्ता आटा जैसे – खेसारी दाल का बेसन आटे में मिलाते हैं। मैदा में सिंघाड़े का आटा मिलाते हैं।
दालें : पुरानी दालों को अच्छा दिखलाने के लिए मेटानिल यलो नामक हानिकारक रंग मिलाया जाता है।
चाय-कॉफ ी : उपयोग की हुई पत्तियां रंगकर मिलाई जाती है। कॉफ ी में इमली के बीज का चूरा मिलाते हैं।
मिर्च पाउडर : में नमक, बुरादा, कोलतार से बने हानिकारक रंग मिला दिए जाते हैं ताकि वह लाल दिखे।
हल्दी : को भी हानिकारक रंग मिलाकर पीला चमकदार बना दिया जाता है।
काली मिर्च : में पपीते के बीज मिलाए जाते हैं।
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फैक्ट फाइल – -जिले में ८४० निरीक्षण किए गए -१०१ खानपान के नमूने लेब भेजे गए -६६ की रिपोर्ट मिली, जिनमें १९ अवमानक मिले -४६ मामलों की जांच रिपोर्ट नहीं आई है -न्यायालय में ६४ प्रकरण दर्ज किए गए -५७ प्रकरणों में निर्णय हुआ, जिन पर ८ लाख २५ हजार २०० रुपए जुर्माना किया गया
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