योग: व्यतिपात नामक अत्यंत बाधाकारक अशुभ योग है। इसके बाद वरियान नामक नैसर्गिक शुभ योग है। व्यतिपात नामक योग में समस्त शुभ कार्य सर्वथा वर्जनीय है। विशिष्ट योग: सर्वार्थसिद्धि नामक शुभ योग सूर्योदय से संपूर्ण दिवारात्रि है। करण: भद्रा संज्ञक विष्टि नामकरण प्रात: ९.२६ तक, इसके बाद बवादि करण हैं।
श्रेष्ठ चौघडि़ए: आज सूर्योदय से प्रात: ८.२० तक शुभ, पूर्वाह्न १०.५७ से दोपहर बाद २.५२ तक क्रमश: चर, लाभ व अमृत तथा सायं ४.११ से सूर्यास्त तक शुभ के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं एवं दोपहर ११.५४ से दोपहर १२.३६ तक अभिजित नामक श्रेष्ठ मुहूर्त है, जो आवश्यक शुभकार्यारम्भ के लिए अत्युत्तम हैं।
राहुकाल: दोपहर बाद १.३० से अपराह्न ३.०० बजे तक राहुकाल वेला में शुभकार्यारंभ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है।