योग: विष्कुंभ नामक नैसर्गिक अशुभ योग अंतरात्रि ४.२६ तक, इसके बाद प्रीति नामक नैसर्गिक शुभ योग है। विष्कुंभ नामक योग की प्रथम तीन घटी शुभ कार्यों में त्याज्य हैं। विशिष्ट योग: दोष समूह नाशक रवियोग नामक शक्तिशाली शुभ योग सायं ५.४१ तक है। करण: भद्रा संज्ञक विष्टि नामकरण दोपहर बाद २.१६ तक, इसके बाद बवादि करण प्रारंभ हो जाएंगे।
श्रेष्ठ चौघडि़ए: आज प्रात: ८.२६ से ९.४४ तक शुभ तथा दोपहर १२.१९ से सायं ४.१२ तक क्रमश: चर, लाभ व अमृत के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं एवं दोपहर ११.५८ से १२.४० तक अभिजित नामक श्रेष्ठ मुहूर्त है, जो आवश्यक शुभकार्यारम्भ के लिए अत्युत्तम हैं।
राहुकाल: प्रात: ९.०० से १०.३० बजे तक राहुकाल वेला में शुभकार्यारंभ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है।