राव इंद्रजीत पिछले लंबे समय से दक्षिण हरियाणा के हितों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए वर्तमान मनोहर सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं। हालही में झज्जर में रैली करने के बाद राव इंद्रजीत समूचे हरियाणा में रैलियां आयोजित करने का ऐलान कर चुके हैं। अब राव इंद्रजीत सिंह ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल, शिक्षा मंत्री प्रो.रामबिलास शर्मा और प्रदेश के मुख्य सचिव डीएस ढेसी को एक पत्र लिखकर नए विवाद को जन्म दे दिया है।
इस पत्र में राव इंद्रजीत ने कर्मचारी वर्ग का समर्थन करते हुए अतिथि अध्यापकों के प्रतिनिधिमंडल द्वारा उन्हें सौंपे गए मांग-पत्र की कॉपी भी भेजी है। अतिथि अध्यापकों को नियमित करने की मांग का पूरी तरह से समर्थन करते हुए राव इंद्रजीत सिंह ने पूर्व की सरकारों द्वारा नियमित किए गए कर्मचारयों का उदाहरण भी दिया है।
यही नहीं, राव इंद्रजीत सिंह ने इस पत्र के जरिये एक तरह से पूर्व की हुड्डा सरकार द्वारा बनाई गई नीतियों का भी समर्थन कर दिया है। बेशक, 2014 की सभी नीतियों को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट 31 मई, 2018 के अपने फैसले में रद्द कर चुकी है। इसी वजह से 4546 उन कर्मचारियों की नौकरी पर भी तलवार लटकी है, जो 2014 की नीतियों के तहत ही नियमित हुए थे। हालांकि सरकार हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर चुकी है।
इंद्रजीत ने 1986 में भूतपूर्व सीएम स्व. चौ. बंसीलाल, 1988 में स्व. चौ.देवीलाल, 1991 में भजनलाल, 1997 में बंसीलाल और 2003 में ओपी चौटाला की सरकार में तदर्थ आधार पर नियुक्त किए गए कर्मचारियों को नियमित करने का पत्र में प्राथमिकता से उल्लेख किया है। उन्होंने इसी आधार पर वर्तमान में तदर्थ आधार पर कार्यरत अतिथि अध्यापकों को भी नियमित करने की मांग की है।
प्रदेश सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के समान काम-समान वेतन के फैसले को कुछ विभागों में तो लागू कर दिया है, लेकिन सभी विभागों में इसे लागू करने को सरकार राजी नहीं है। केंद्रीय मंत्री ने इसके लिए भी सीएम से आग्रह किया है कि कर्मचारियों को समान काम-समान वेतन का फायदा दिया जाए। उनका कहना है कि पूर्व की सरकार में 9 सितंबर, 2014 को अतिथि अध्यापकों ने उस समय के मुख्यमंत्री को भी मांग-पत्र सौंपा था।
उस दौरान मुख्यमंत्री ने अपने अधिकारियों को अतिथि अध्यापकों की मांगों का निरीक्षण करके उन्हें नियमानुसार नियमित करने के आदेश भी दे दिए थे। इसी दौरान राज्य में आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद यह फैसला लागू नहीं हो पाया। ऐसे में अब सीएम को इन कर्मचारियों की मांगों के प्रति सहानुभूतिपूर्वक तरीके से विचार-विमर्श करना चाहिए। माना जा रहा है कि राव इंद्रजीत सिंह की यह चिट्ठी प्रदेश सरकार की मुश्किलें और भी बढ़ा सकती है।