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हरियाणा रोडवेज कर्मचारी यूनियनों ने हाईकोर्ट से मांगा लिखित जवाब पेश करने के लिए समय, अगली सुनवाई 29 को

locationहिसारPublished: Nov 14, 2018 07:58:52 pm

Submitted by:

Prateek

हरियाणा रोडवेज कर्मचारी यूनियनों ने अपने साझा मंच हरियाणा रोडवेज कर्मचारी तालमेल कमेटी के जरिए निजी बसें किराए पर लेने की राज्य सरकार की नीति के विरोध में पिछले 16अक्टूबर से चक्काजाम हडताल की थी…

(हिसार): हरियाणा रोडवेज कर्मचारी यूनियनों ने निजी बसों को किराए पर लेने की राज्य सरकार की नीति पर अपनी आपत्तियों को लेकर जवाब पेश करने के लिए बुधवार को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से समय मांगा। इस पर हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की अगली तिथि 29नवम्बर तय कर दी।

 

हरियाणा रोडवेज कर्मचारी यूनियनों ने अपने साझा मंच हरियाणा रोडवेज कर्मचारी तालमेल कमेटी के जरिए निजी बसें किराए पर लेने की राज्य सरकार की नीति के विरोध में पिछले 16अक्टूबर से चक्काजाम हडताल की थी। हडताल के कारण आम लोगों को होने वाली परेशानी के मद्येनजर जनहित याचिका पेश किए जाने पर हाईकोर्ट ने पिछले दो नवम्बर को यूनियनों को हडताल वापिस लेने का आदेश दिया था। साथ ही राज्य सरकार को भी हडताल के सिलसिले में कर्मचारियों पर की गई बर्खास्तगी,निलंबन और गिरफ्तारी आदि की कार्रवाई रोकने का आदेश दिया था।


हाईकोर्ट ने इसके बाद सुनवाई की अगली तिथि 14 नवम्बर तय की थी। इस सुनवाई से पहले हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को यूनियन नेताओं के साथ वार्ता करने का आदेश भी दिया था।

 

हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार यूनियन नेताओं और राज्य के परिवहन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव धनपत सिंह के बीच वार्ता आयोजित की गई थी लेकिन कोई समझौता नहीं किया जा सका था। इस वार्ता में भी राज्य सरकार का रूख था कि किराए पर 500 निजी बसें रोडवेज के बेडे में शामिल करने के लिए जो अनुबन्ध किए गए हैं उसके तहत बसें तैयार की जा चुकी हैं और इस स्थिति में अनुबन्ध रद्य करने का मतलब है कि निजी बस संचालक भी हाईकोर्ट में जा सकते है। अतिरिक्त मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि 720 निजी बसें किराए पर लेने का फैसला केबिनेट का है।

 

उधर रोडवेज कर्मचारी यूनियनें भी निजी बसों को किराए पर लेने के फैसले को रद्य करने की मांग पर अडी रहीं। यूनियन नेताओं की दलील थी कि जब एक हजार बसें रोडवेज के अलग-अलग डिपों में खडी हैं और उन्हें कुप्रबन्ध के कारण नहीं चलाया जा सका है तो निजी बसों को किराए पर लेने की जरूरत ही क्या है?

 

हाईकोर्ट में रोडवेज हडताल के मुद्ये पर बुधवार को हुई दूसरी सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से अपना जवाब पेश किया गया। जवाब में सरकार ने दोहराया कि केबिनेट के फैसले के तहत निजी बसें किराए पर लेने की प्रक्रिया शुरू की गई है।


अनुबन्ध के अनुसार अब प्रक्रिया ऐसी स्थिति में पहुंच गई है कि अब उसे वापस लेना भी संभव नहीं है। राज्य सरकार के जवाब के साथ हाईकोर्ट ने यूनियनों से पूछा कि राज्य सरकार की इस नीति पर उनकी आपत्ति के कारण क्या हैं? इस पर यूनियनों ने कहा कि उन्हें अपने ऐतराज पेश करने के लिए लम्बा जवाब तैयार करना होगा। लम्बा जवाब पेश करने के लिए समय चाहिए। इसलिए पर्याप्त समय दिया जाए। यूनियनों के वकीलों ने यह दलील भी दी कि राज्य सरकार ने जो जवाब हाईकोर्ट में पेश किया है उसमें सरकार का ही पक्ष अधिक है। यूनियन नेताओं ने जो पक्ष रखा है उसे पूरा स्थान नहीं दिया गया।

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