scriptभूपेन्द्र हुड्डा सरकार की तर्ज पर खट्टर सरकार ने बिल्डर को दी करोडों की जमीन-दुष्यंत चौटाला | Dushyant Chautala charged on haryana government of land scam | Patrika News

भूपेन्द्र हुड्डा सरकार की तर्ज पर खट्टर सरकार ने बिल्डर को दी करोडों की जमीन-दुष्यंत चौटाला

locationहिसारPublished: Feb 19, 2019 03:09:16 pm

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Prateek

सहकारिता राज्यमंत्री मनीष ग्रोवर ने इस बाबत चौटाला से सबूत मांगे…
 

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(चंडीगढ,हिसार): हरियाणा के हिसार से सांसद दुष्यंत चौटाला ने सोमवार को यहां प्रदेश की मनोहर लाल खट्टर सरकार को कठघरे में खडा करते हुए कहा कि उसने पूर्ववर्ती भूपेन्द्र सिंह हुड्डा सरकार की तर्ज पर एक बिल्डर को करोडों का फायदा पहुंचाया। बिल्डर के फायदे के लिए स्वयं सरकार ने नियमों को ताक पर रख दिया। दूसरी ओर इस मामले में खट्टर सरकार के सहकारिता राज्यमंत्री मनीष ग्रोवर ने दुष्यंत चौटाला के आरोप को मनगढन्त बताते हुए कहा कि यदि दुष्यंत कोई सबूत देते हैं तो कार्रवाई की जाएगी। लेकिन मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार की ओर से कहा गया कि जिस हरित पट्टी की जमीन रास्ते के लिए देने का आरोप सांसद ने लगाया है उसे 3 जुलाई 2018 को पुराने स्वरूप में लाने का आदेश गुरूग्राम महानगर विकास प्राधिकरण ने दिया था और इसके आधार पर हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के गुरूग्राम डिवीजन तीन के अधिशासी अभियंता ने 29 जुलाई 2018 को डवलपर को दी गई अनुमति रद्द कर दी थी।

 

हरियाणा सरकार ने गुरूग्राम में नेशनल हाइवे से 2 किलोमीटर के रास्ते को 200 मीटर बताते हुए राजमार्ग प्राधिकरण से मंजूरी दिलाई। दुष्यंत चौटाला ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि गुरूग्राम में नेशनल हाइवे-8 से सटी प्राइम लोकेशन की 13 एकड़ जमीन रास्ते के नाम पर बिल्डर को दी गई। गुरूग्राम के सेक्टर-16 में एक बिल्डर की जमीन और नेशनल हाइवे के बीच हुडा की ग्रीन बेल्ट है। बिल्डर ने ग्रीन बेल्ट के पास से होते हुए नेशनल हाइवे से मिलने वाली एक अन्य सड़क तक का रास्ता सरकार से मांगा था।

 


इस पर राज्य सरकार ने बिल्डर को ग्रीन बेल्ट के बीचों बीच सीधा रास्ता बनाकर दे दिया। इससे बिल्डर की जमीन का नेशनल हाइवे के लिए जो रास्ता लगभग 2 किलोमीटर का था, वो घटकर 200 मीटर रह गया। इस नए रास्ते का इस्तेमाल सिर्फ बिल्डर की जमीन पर जाने के लिए ही होगा क्योंकि यह रास्ता नेशनल हाइवे से शुरू होकर बिल्डर की जमीन पर खत्म होता है।

 

सरकार का पहला गलत काम

सांसद दुष्यंत चौटाला ने आरोप लगाया कि इस पूरी प्रक्रिया में मुख्य रूप से दो गलत काम किए गए और दोनों की ही पुष्टि सरकारी रिकॉर्ड, आरटीआई और सीएजी की साल 2017 की रिपोर्ट से होती है। पहला गलत काम ये किया गया कि सरकार ने जनहित के नाम पर नेशनल हाइवे अथॉरिटी से रास्ते की इजाज़त खुद ली। आरटीआई से मिले जवाब में साफ लिखा है कि हरियाणा सरकार ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के गुरूग्राम डिवीजन-3 के कार्यकारी अभियंता के जरिए यह इजाज़त हासिल की। इससे बिल्डर की जमीन की कीमत कई गुणा बढ़ गई। 13 एकड़ का यह प्रोजेक्ट अगर 500 करोड़ का था तो नेशनल हाइवे से सीधा जुड़ने का बाद यह 1500 करोड़ का हो गया होगा।

 

दूसरा गलत काम

सांसद दुष्यंत चौटाला ने बताया कि दूसरा गलत काम यह किया गया कि बिल्डर की जमीन के लिए रास्ता बनाने में इस्तेमाल की गई सरकारी जमीन के बदले बिल्डर से ना कोई जमीन और ना ही उसकी कीमत ली गई। कैग की वर्ष-2017 की रिपोर्ट में पेज 106 पर यह साफ लिखा गया है कि जमीन के बदले जमीन ना लेकर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया गया। कुल 4930 वर्ग मीटर जमीन के बदले बिल्डर से जमीन ली जानी चाहिए थी। सांसद ने कहा कि जिस जगह यह प्रोजेक्ट है, वहां जमीन की मार्केट वैल्यू लगभग ढाई लाख रुपये वर्ग मीटर है। इस हिसाब से लगभग 160 करोड़ रुपये कीमत की जमीन बिल्डर से ली जानी चाहिए थी जो नहीं ली गई।

 

हुड्डा से ली सीख

पत्रकारवार्ता में सांसद ने आरोप लगाया कि कुल मिलाकर बिल्डर को लगभग 1000 करोड़ रुपये का फायदा इस प्रक्रिया में पहुंचाया गया। विशेष बात यह है कि प्रोजेक्ट की फाइल पर मंजूरी खुद मुख्यमंत्री ने साल 2015 में दी थी। बाकायदा दो जगह मुख्यमंत्री के नाम से फाइल को देखे जाने और प्रोजेक्ट को मंजूरी देने की नोटिंग है। सांसद दुष्यंत चौटाला ने कहा कि खट्टर सरकार ने बिल्डरों को फायदा पहुंचाने का यह तरीका हुड्डा सरकार से सीखा है।

 

 

विस में लेकर आएंगे ध्यानाकर्षण प्रस्ताव

दुष्यंत ने कहा कि जैसे हुड्डा सरकार के दौरान रॉबर्ट वाड्रा ने 5 करोड़ में जमीन खरीदी। सरकार ने उस पर लाइसैंस दिया और वाड्रा ने वो जमीन डीएलएफ को 55 करोड़ में बेच दी, यानी सरकार ने सुविधा देकर जमीन की कीमत दस गुणा बढ़ा दी। वैसे ही इस मामले में भी हाइवे से रास्ता मिल जाने के बाद जमीन को एक बड़े बिल्डर ने खरीद लिया है। दुष्यंत चौटाला ने मांग की कि इस मामले की जांच हाइकोर्ट के किसी मौजूदा जज से करवाई जाए। साथ ही अगर मुख्यमंत्री यह दावा करते हैं कि इस मामले में कोई अनैतिक काम या सरकारी खजाने को नुकसान नहीं हुआ है तो आने वाले विधानसभा सत्र में इस पर श्वेत पत्र जारी करें। साथ ही उन्होंने कहा कि जेजेपी समर्थित विधायक इस पर विधानसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लेकर आएंगे।

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