scriptथकान व सूखी खांसी आईएलडी के लक्षण | Symptoms of Interstitial lung disease is fatigue and dry cough | Patrika News

थकान व सूखी खांसी आईएलडी के लक्षण

Published: Jul 20, 2017 03:29:00 pm

यह (इंटरस्टीशियल लंग डिजीज) एक बीमारी का समूह है जो फेफड़ों के वायुकोषों के बीच की जगह (इंटरस्टीशियम) को प्रभावित करता है।

dry cough

dry cough

आईएलडी क्या है?
यह (इंटरस्टीशियल लंग डिजीज) एक बीमारी का समूह है जो फेफड़ों के वायुकोषों के बीच की जगह (इंटरस्टीशियम) को प्रभावित करता है। इसमें वायुकोषों के बीच की कोशिकाएं मोटी हो जाती हैं। इस कारण व्यक्ति सही प्रकार से सांस नहीं ले पाता व ऑक्सीजन की उचित मात्रा रक्त में नहीं पहुंच पाती।

कौन से रोग इसमें आते हैं?
आईएलडी के प्रकारों में पल्मोनरी फाइब्रोसिस प्रमुख है जो ज्यादातर मामलों में पाया जाता है। इसके अलावा इसमें सारकाइडोसिस, हाइपरसेंसिटिविटी न्युमोनाइटिस, कनेक्टिव टिश्यू डिजीज और ऑक्यूपेशनल लंग डिजीज शामिल हैं। 

रोग के मुख्य लक्षण क्या है ?
सांस लेने में तकलीफ इसका प्रमुख लक्षण है। चलने या काम करते समय सांस फूलना रोग की शुरुआती अवस्था है। बिना शारीरिक गतिविधि के सांस का फूलना भी रोग की गंभीरता को दर्शाता है। मरीज को बार-बार सूखी खांसी होने के साथ थकान भी महसूस होती है।

आईएलडी के मुख्य कारण?
ऑटो इम्यून डिजीज, पर्यावरणीय पदार्थों से संपर्क (कोयले, अनाज की धूल, पत्थर के महीन कण, पक्षियों के संपर्क आदि), दवाइयां (कीमोथैरेपी, एंटीबायोटिक्स, एमियोडरोन), विकिरण, फेफड़े के वायरल या सामान्य इंफेक्शन आदि।

रोग की पहचान किन जांचों से?
प्रमुख जांचों में चेस्ट का एक्स-रे व सीटी स्कैन से रोग की पहचान करते हैं। स्पाइरोमेट्री, सिक्स मिनट वॉक टैस्ट, ब्रॉन्कोस्कोपी व फेफड़ों की बायोप्सी से रोग का पता लगाते हैं।

आईएलडी का इलाज क्या है?
इलाज रोग की गंभीरता पर निर्भर करता है। प्रारंभिक अवस्था में एंटीबायोटिक, एंटीफिब्रोटिक, स्टेयरॉइड्स, इम्युनोसप्रेसिव दवाओं से उपचार होता है। बीमारी बढऩे पर मरीज को आजीवन ऑक्सीजन लेने की जरूरत पड़ सकती है। गंभीर अवस्था में यदि मरीज को बार-बार संक्रमण की शिकायत हो तो फेफड़ों का प्रत्यारोपण भी करते हैं।

रोग को नियंत्रित कैसे करें?
नियमित दवाएं लें। भोजन में प्रोटीन युक्त चीजें जैसे पनीर, दूध, दालें आदि शामिल करें। ठंडी चीजों से परहेज करें। योग, प्राणायाम और व्यायाम को दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। धूम्रपान और तनाव से बचें।

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