scriptस्लिप डिस्क में आराम देगा उड़द के आटे का घेरा | Slip Disc Ayurvedic Treatments and spinal disc herniation cure offered by Kerala Ayurveda | Patrika News

स्लिप डिस्क में आराम देगा उड़द के आटे का घेरा

Published: May 11, 2015 12:28:00 pm

Submitted by:

sangita chaturvedi

तेजी से बदलती जीवनशैली में कमरदर्द आम हो गया है। एक शोध के अनुसार 50-70
फीसदी लोगों को कमरदर्द होता है। इनमें औसतन 40 फीसदी सिआटिका (गृध्रसी) के
रोगी होते हैं। रीढ़ की संरचना में कुल 30 वर्टिब्रा होते हैं-सर्वाइकल-8,
थोरासिक-12, लंबर-5, सेकरल-5। कमरदर्द के अधिकतर रोगियों में सबसे ज्यादा
वर्टिब्रा संख्या 4, 5 (एल-4, एल-5) में कुछ खराबी आ जाती है तब उसे स्लिप
डिस्क कहते हैं। इन्हीं रीढ़ की हड्डियों (वर्टिब्रा) में से हमारी
सुषुम्ना नाड़ी गुजरती है जिससे हमें सभी शारीरिक क्रियाओं में मदद मिलती
है जैसे चलना, दौडऩा, खड़े रहना, हाथ उठाना, मल-मूत्र निवारण आदि। जब
वर्टिब्रा में खराबी आती है तो इन क्रियाओं को करने में शरीर परेशानी महसूस
करता है, जिसे स्लिप डिस्क कहते हैं।




तेजी से बदलती जीवनशैली में कमरदर्द आम हो गया है। एक शोध के अनुसार 50-70 फीसदी लोगों को कमरदर्द होता है। इनमें औसतन 40 फीसदी सिआटिका (गृध्रसी) के रोगी होते हैं। रीढ़ की संरचना में कुल 30 वर्टिब्रा होते हैं-सर्वाइकल-8, थोरासिक-12, लंबर-5, सेकरल-5। कमरदर्द के अधिकतर रोगियों में सबसे ज्यादा वर्टिब्रा संख्या 4, 5 (एल-4, एल-5) में कुछ खराबी आ जाती है तब उसे स्लिप डिस्क कहते हैं। इन्हीं रीढ़ की हड्डियों (वर्टिब्रा) में से हमारी सुषुम्ना नाड़ी गुजरती है जिससे हमें सभी शारीरिक क्रियाओं में मदद मिलती है जैसे चलना, दौडऩा, खड़े रहना, हाथ उठाना, मल-मूत्र निवारण आदि। जब वर्टिब्रा में खराबी आती है तो इन क्रियाओं को करने में शरीर परेशानी महसूस करता है, जिसे स्लिप डिस्क कहते हैं।

बीमारी के कारण
आहार: ठंडा, अत्यधिक मिर्च मसाले, अचार युक्त, तला-भुना या गरिष्ठ भोजन करने से स्लिप डिस्क की तकलीफ हो सकती है।

विहार: लगातार खड़े रहना, वजन उठाकर लंबे समय तक चलना, देर रात जागना, चोट लगना, अधिक पैदल चलना, लंबे समय तक वाहनों की सवारी (स्कूटर, बाइक, कार) गलत प्रकार के आसन, चिंता आदि से यह रोग हो सकता है।

प्रमुख लक्षण
कमर के निचले हिस्से में दर्द व खिंचाव का पैरों तक जाना, निचले हिस्से में सुन्नता या बेवजह कमजोरी महसूस होना, लेटने या खड़े होने पर दर्द का बढऩा, थोड़ा चलने से कमरदर्द और पैरों में झनझनाहट होना इसके लक्षण हैं।

बचाव: कटि-बस्ति केरल की अत्यधिक प्रचलित चिकित्सा पद्धति है जिससे सिआटिका, स्लिप डिस्क, स्पोंडिलाइटिस जैसे रोगों का उपचार किया जाता है। कटि-बस्ति में कमर के जिस हिस्से में दर्द या खिंचाव होता है वहां मसाज व स्टीम बाथ के बाद उड़द के आटे का घेरा बनाया जाता है। इस घेरे में निवाया गर्म (सहन करने योग्य) औषधीय तेल 40 मिनट तक डालकर रखा जाता है। ठंडा होने पर तेल को बार-बार बदलते रहते हैं। इस प्रक्रिया से दबी हुई नसों की जकडऩ दूर होती है और दर्द व खिंचाव में आराम मिलता है। आयुर्वेद में पंचकर्म के प्रयोग से स्लिप डिस्क के ऑपरेशन को टाला जा सकता है। हालांकि रोग की स्थिति गंभीर होने पर इसे ठीक होने में समय भी लग सकता है।
– डॉ. अमित कुमार शर्मा

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