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Kidney Stones: निकाल देगी कुलथी की दाल और बकरी का दूध

Published: Apr 28, 2016 01:41:00 pm

Submitted by:

sangita chaturvedi

कुलथी की दाल से निकल जाती है पथरी। बकरी का दूध भी बेहद कारगर तरीका है। जानें इन्हें कैसे करना है इस्तेमाल…



आयुर्वेद के अनुसार दोषों का प्रकोप होने से पथरी होती है। यह सफेद रंग की, स्पर्श में चिकनी, आकार में बड़ी व महुए के फूल जैसी होती है। लाल, पीली, काली या भिलावे की गुठली के समान पथरी पित्तज पथरी कहलाती है। जबकि संावली, कठोर स्पर्श वाली, टेढ़ी-मेढ़ी व खुरदरी कदंब के फूल जैसी पथरी वात
दोष के कारण होती है।
संकेत एवं लक्षण
भूख कम लगना, यूरिन में दिक्कत, हल्का बुखार व कमजोरी जैसे लक्षण पथरी के संकेत हैं। वैसे पथरी छोटी हो तो उसका कोई लक्षण या दर्द नहीं होता। पथरी जिस स्थान पर होती है उसी जगह पर दर्द होता है। जब पथरी किसी वजह से हिलती है तो काफी दर्द व उल्टी भी आ सकती है। कई बार यूरिन के साथ ब्लड आने लगता है।
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मुख्य वजह व रोग का पुराना होना
सुश्रुत संहिता के अनुसार शरीर में दोष बढऩा, दिन में सोना, जंकफूड व अधिक भोजन करना, ज्यादा ठंडा या मीठा खाने से पथरी होती है। कमजोरी, थकावट, वजन घटना, भूख न लगना, खून की कमी, प्यास अधिक लगना, दिल में दर्द होना और उल्टी आना ये लक्षण लंबे समय तक बने रहें तो पथरी के पुराने होने का संकेत हो सकते हैं।
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ये हैं उपाय
* कुलथी की दाल में पथरी को तोडऩे की क्षमता होती है जिससे पथरी टूटकर बाहर निकल जाती है।
* सुश्रुत संहिता में पथरी होने पर देसी घी से उपचार बताया गया है। इससे पथरी आसानी से बाहर निकल जाती है।
* दर्द होने पर उस स्थान पर सेक से लाभ होता है। वैसे पथरी को शुरुआती अवस्था में ही बढऩे से रोकना चाहिए।
* गोखरू के बीज का चूर्ण शहद व बकरी के दूध के साथ एक सप्ताह पीने से पथरी में आराम मिलता है।
* पथरी के रोगी टमाटर, चावल व पालक नहीं खाएं।
– प्रोफेसर अनूप कुमार गक्खड़, हरिद्वार
नोट: किसी भी उपाय को बिना डॉक्टरी सलाह के प्रयोग में न लाएं।


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