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स्वास्थ्य

यूरिन का कम आना, रोने पर आंखों से आंसू न आना भी डिहाइड्रेशन के लक्षण

अमरीकन एकेडेमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की डॉ. एल्टमन और बॉस्टोन के ब्रिघम एंड विमन्स हॉस्पिटल की शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. फिचमैन के अनुसार खेलकूद व आउटडोर एक्टिविटी के दौरान अक्सर बच्चे पानी पीना नजरअंदाज कर देते हैं। वहीं जब बच्चे बीमार पड़ते हैं तो भी वे कम मात्रा में पानी पीते हैं। यह नुकसानदायक है। ऐसे में जरूरी है कि अभिभावक उनकी शरीर की जरूरत व सेहत को ध्यान में रखकर पानी व अन्य तरल पदार्थ दें। इस अंक में जानते हैं कि किस उम्र में कितनी मात्रा में लिक्विड लेना जरूरी है।

Jan 10, 2020 / 02:13 pm

Divya Sharma

यूरिन का कम आना, रोने पर आंखों से आंसू न आना भी डिहाइड्रेशन के लक्षण

यूरिन का कम आना, रोने पर आंखों से आंसू न आना भी डिहाइड्रेशन के लक्षण

70 से 80 प्रतिशत तरल की पूर्ति किसी भी फल को चबाकर खाने से ही हो जाती है।
4.2 ग्राम ओआरएस के पाउच 200 एमएल घोलें पानी की कमी होने पर।
21 ग्राम ओआरएस के पाउच को एक लीटर पानी में घोलकर दिनभर में दें।
02 घंटे के गैप में थोड़ा-थोड़ा पानी या नारियल व नींबू पानी पीना चाहिए।

उम्रवार तरल की मात्रा
नवजात : पूर्ण विकास के लिए नवजात (0-28 दिन वाले) को ब्रेस्टफीडिंग कराएं। समयपूर्व जन्मे बच्चों को हर दो घंटे के गैप से बार-बार दूध पिलाएं। एक स्तन से पूरा दूध पिलाएं। शुरुआत में इससे निकलने वाले दूध में पानी व कार्बोहाइडे्रट और आखिर के दूध में प्रोटीन व फैट होता है। 28 दिन बाद शिशु भूख लगने पर रोकर जताने लगता है। ऐसे में उसे फीड कराना जरूरी होता है। दूध से एलर्जी होने पर शिशु को फॉर्मूला मिल्क सही मिश्रण में दें। एक चम्मच मिल्क पाउडर को दो चम्मच पानी में मिलाएं। वजन व उम्र के अनुसार फॉर्मूला मिल्क की मात्रा डॉक्टरी सलाह से बढ़ाना चाहिए।
6-12 माह : दूध के अलावा ऊपर की भी चीजें इसमें उम्र दें। इसमें लिक्विड डाइट ज्यादा दें। बच्चे को दाल व चावल का पानी, नारियल पानी पिलाएं। शिशु को एक बार में कुछ घूंट पानी काफी है लेकिन दिनभर में कई बार दें। साथ ही, गाय या भैंस का दूध पिला सकते हैं।
1-3 साल : दिनभर में वजन के अनुसार ब्रेस्टफीडिंग के अलावा दो कप दूध पिलाया जा सकता है। साथ ही दो से पांच कप पानी थोड़ी-थोड़ी देर में पिलाएं। इस दौरान बच्चा स्कूल जाना शुरू कर देता है। ऐसे में उसे साथ में पानी की बोतल ले जाने और थोड़ी-थोड़ी देर में पीने के लिए कहें।
स्कूल जाने वाले बच्चे : इस उम्र में बच्चे की मांसपेशियों और हड्डियों का विकास तेजी से होता है। दिनभर में कम से कम पांच कप पानी जरूर पिलाएं। वहीं हड्डियों की मजबूती के लिए दो से तीन कप दूध पीने को दें। लैक्टोज से जुड़ी समस्या है तो दूध की बजाय नारियल पानी, नींबू पानी, मिल्क रोज आदि अच्छे विकल्प हैं।
खेलकूद के दौरान
बीकानेर के सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. जी एस तंवर के अनुसार ऐसे बच्चे और कम उम्र के युवा जो एथलीट होने के अलावा खेलकूद में शामिल हैं उन्हें ऊर्जा के लिए एनर्जी ड्रिंक के बजाय पानी की जरूरत खेल से पहले, दौरान और बाद में ज्यादा होती है। हर दो घंटे में पानी पीना जरूरी है। गुनगुना पानी पी सकते हैं। पढ़ाई के साथ खेलकूद में कॅरियर बनाने की चाह रखने वाले दिनभर में ३-४ घंटे से ज्यादा समय ग्राउंड में प्रेक्टिस करते हैं। अतिरिक्त ऊर्जा के लिए नींबू या नारियल पानी पीएं।
पानी की कमी की पहचान
बच्चा यदि कम मात्रा में यूरिन पास करें यानी आठ घंटे से ज्यादा हो गए उसे यूरिन किए, मुंह का सूखना, बिना आंसू के रोना, जरूरत से ज्यादा सोना, कमजोरी और चक्कर आने जैसे लक्षण शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) के हो सकते हैं।
डॉक्टरी परामर्श जरूरी
बीमार पडऩे पर बच्चा कम खाता-पीता है। बुखार, धड़कनें तेज होने, उल्टी व दस्त होने पर शरीर में पानी की कमी हो जाती है। एक साल से कम उम्र के शिशु को हर दो घंटे के बजाय आधे-एक घंटे में स्तनपान कराएं। बड़े बच्चे को ओआरएस का घोल दें। 24 घंटे में इसे बार-बार पिलाएं।

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