बाहर के खाने में ज्यादा Saturated fats
बटर, चीज, म्योनीज, बर्गर, चीज बटर, जंकफूड, बाहर के खाने में सैचुरेटेड फैट ज्यादा होता है। यह फैट कमरे के तापमान पर भी पिघलता नहीं है। यही धमनियों में ब्लॉकेज का कारण बनता है।
स्मोकिंग, स्ट्रेस से खतरा बढ़ता
Smoking व Stress की वजह से हृदय रोगों की आशंका बढ़ती है। ऐसा मरीज जिसे हृदय संबंधी समस्या नहीं है तो उसका प्रमुख कारण तनाव मानते हैं। तनाव से हृदय कमजोर होने लगता है।
युवाओं में इसलिए खतरा ज्यादा
युवाओं में कार्डियक अरेस्ट का सबसे बड़ा कारण फास्ट फूड और निष्क्रिय जीवनशैली है। करियर में तरक्की की होड़ में धूम्रपान, देर रात खाना, जागना जीवनशैली में शामिल हो गया है, जो बड़ा कारण है।
कार्डियक अरेस्ट व हार्ट अटैक में अंतर
Cardiac arrest : शरीर में इलेक्टॉनिक गतिविधियों से जुड़ा है। हृदय का एक हिस्सा जो इंपल्स बनाने का काम करता है। यह एक तरह का करंट पैदा करता है जो हृदय की मांसपेशियों तक जाता है। इससे हृदय की धड़कन चलती रहती है और हार्ट लगातार पंप करता है। जब ये इलेक्टॉनिक करंट बंद हो जाता है तो हृदय काम करना बंद कर देता है।
Heart Attack : कोरोनरी धमनी हृदय की पेशियों तक खून पहुंचाने का काम करती है। जब इस धमनी में रक्त संचार में बाधा पैदा होती है तो हृदय तक रक्त की आपूर्ति नहीं पहुंच पाती है। इस कारण हृदय काम करना बंद कर देता है। इस स्थिति में हृदय का कुछ हिस्सा काम करना बंद कर देता है। इस कारण हृदय का सिर्फ वही हिस्सा प्रभावित होता है जबकि हृदय का अन्य हिस्से काम करता रहता हैं। इस स्थिति में डॉक्टर इलाज कर उस ब्लॉकेज को खत्म कर देते हैं और दिल तक खून पहले की तरह पहुंचने लगता है।
मेनोपॉज : महिलाओं में 45-50 की उम्र में Menopause के बाद कार्डियक अरेस्ट की आशंका बढ़ जाती है। क्योंकि पीरियड्स के दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन स्रावित होता है, जो हृदय संबंधी बीमारियों से बचाता है। मेनोपॉज के बाद से यह हार्मोन बनना बंद हो जाता है।
ऐसे दें सीपीआर
बेहोश व्यक्ति को CPR (कार्डियो पल्मोनरी- रेसूसिटेशन) से होश में ला सकते हैं। मरीज को खुली हवा में ले जाएं। उसके कपड़े ढीले कर दें। कैरॉटिड पल्स (गले की नब्ज कंठ के दोनों तरफ होती) को सबसे पहले उसकी जांच करें। तीन अंगुलियों से मरीज की धड़कन को टटोलें। इसके बाद सीने के बीच की हड्डी (स्टर्नम) जहां खत्म होती है वहां पर एक मिनट में 100 से 120 बाद तेजी से कंप्रेशन देेते हैं। प्रत्येक 30 कंप्रेशन के बाद मरीज के मुंह में हवा फूंकें। उसके माथे पर सीधे हाथ की तीन अंगुलियां रखकर इंडेक्स फिंगर, अंगूठे से उसकी नाक को दबाएं। इसके बाद मुंह से कृत्रिम सांस देने के लिए उसके मुंह पर रूमाल लगाकर सामान्य तरीके से सांस दें। यह प्रक्रिया एक सेकंड के अंतराल पर पांच बार करें। इसके बाद उसकी धड़कन की जांच करें। यदि मरीज की धड़कन शुरू नहीं हो रही है तो उसे जितना जल्दी हो सके उसे नजदीकी हॉस्पिटल में ले जाएं।
एक्सपर्ट – डॉ. गौरव खंडेलवाल कॉर्डियोलॉजिस्ट, एम्स, भोपाल
एक्सपर्ट – डॉ. विवेक जवाली, हृदय रोग विशेषज्ञ, बेंगलुरू