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स्किन पीलिंग की आम समस्या को नहीं करें नजरअंदाज

पहले से ही सूखी त्वचा वाले लोग अगर बार-बार साबुन से हाथ धोते हैं, तो सूखी त्वचा उखड़ने लगती है। ज्यादा ही गर्म पानी से स्नान के कारण त्वचा का ऑयल कम हो जाता है। कुछ लोगों की त्वचा बहुत सेंसिटिव होती है। बदलते मौसम का असर जल्दी होता है

बैंगलोरApr 25, 2024 / 11:16 pm

Nikhil Kumar

– निखिल कुमार

भीषण गर्मी अपने साथ विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं लेकर आई है। ऊपर से जलसंकट ने परेशानी और बढ़ा दी है। गर्मी की मार त्वचा पर भी पडऩे लगी है। skin peeling (विशेषकर हाथों व पैरों से खाल उतरना) हर वर्ग व उम्र के लोगों के लिए परेशानी का सबब बन रही है। त्वचा रोग विशेषज्ञों के अनुसार स्किन पीलिंग आम समस्या है, लेकिन कुछ मामलों में, इसके कारण किसी और स्वास्थ्य समस्या की ओर इशारा कर सकते हैं। कई बार स्किन पीलिंग जैसी समस्या को साधारण समझकर नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है।
लालीपन, जलन, खुजली

 त्वचा की बाहरी परत छिलके की तरह निकलने लगती है। इसे epidermis भी कहते हैं। बच्चे इससे ज्यादा प्रभावित होते हैं। लालीपन, जलन, खुजली परेशान करने लगती है। कुछ चिकित्सकों के अनुसार स्किन पिलिंग प्रक्रिया त्वचा को किसी प्रकार की क्षति से बचाने या ठीक करने का तरीका भी है। कई बार मौसम के बदलने के दौरान भी यह समस्या होती है।
 बदलते मौसम का असर

 पहले से ही सूखी त्वचा वाले लोग अगर बार-बार साबुन से हाथ धोते हैं, तो सूखी त्वचा उखड़ने लगती है। ज्यादा ही गर्म पानी से स्नान के कारण त्वचा का ऑयल कम हो जाता है। कुछ लोगों की त्वचा बहुत सेंसिटिव होती है। बदलते मौसम का असर जल्दी होता है।
कई बार कारण अनुवांशिक भी

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. रावली पोलेपाका ने बताया कि त्वचा के छिलने की चिकित्सीय स्थिति को डिक्लेमेशन के रूप में भी जाना जाता है, जिसमें एपिडर्मिस (त्वचा की बाहरी परत) का झडऩा शामिल होता है। कई बार कारक अनुवांशिक भी होते हैं। यह आमतौर पर बच्चों में देखा जाता है, विशेष रूप से संवेदनशील त्वचा वाले या एक्जिमा के इतिहास वाले लोगों में। यह खसरा, वायरल और फंगल संक्रमण का दुष्प्रभाव भी हो सकता है। विटामिन की कमी के कारण भी त्वचा में जलन और क्षति हो सकती है। ज्यादातर मामलों में, त्वचा का छिलना स्व-सीमित होता है। सही निदान महत्वपूर्ण है। त्वचा को अच्छी तरह से नमीयुक्त रखना, एलर्जी या जलन पैदा करने वाले कारकों जैसे ट्रिगर से बचना, हल्के साबुन और डिटर्जेंट का उपयोग करना और कठोर रसायनों से बचना त्वचा की संभावित क्षति को कम करने में मदद कर सकता है।
खरोंचना या जबरदस्ती छीलना नहीं चाहिए

 त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. सुधीनद्र उदबाल्कर ने कहा, यदि बच्चा डिस्क्वामेशन से पीड़ित है, तो यह महत्वपूर्ण है कि बच्चे की त्वचा की देखभाल और आराम को प्राथमिकता दें। बच्चे अत्यधिक हाथ धोने या उत्तेजक पदार्थों के संपर्क में आने से बचें और यदि आवश्यक हो तो दस्ताने के उपयोग को प्रोत्साहित करें। बच्चों को त्वचा को खरोंचना या जबरदस्ती छीलना नहीं चाहिए, क्योंकि इससे स्थिति और खराब हो सकती है। आनुवांशिक परामर्श उन परिवारों के लिए भी फायदेमंद हो सकता है, जिनके पास इस स्थिति का इतिहास है और त्वचा विशेषज्ञ से मार्गदर्शन लेना सटीक निदान और डिसक्वामेशन के उचित प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है।
समस्या एक, कारण अनके

 – वातावरण में मौजूद कुछ तत्व, त्वचा की स्थिति, एलर्जी, संक्रमण या अन्य कोई बीमारी।

-सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणों के कारण त्वचा को नुकसान पहुंच सकता है। त्वचा पपड़ी की तरह निकलने लगती है।
 -कई बार डिहाइड्रेशन के कारण त्वचा सूख कर निकलने लगती है।

 -रसायन मिश्रित सौंदर्य उत्पाद या क्लींजर आदि भी कारण हो सकते हैं। -कई बार त्वचा से जुड़ी कुछ समस्याएं जैसे -एक्जिमा, सोरायसिस, टॉक्सिक एपिडर्मल नेक्रोलिसिस, स्टीवंस जॉनसन सिंड्रोम और डर्मेटाइटिस के कारण भी त्वचा परतदार होकर छिलके की तरह निकलने लगती है।

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