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बालाघाट

अनदेखी-खुले में फेंका जा रहा बायोवेस्ट, बढ़ रहा संक्रमण का खतरा

जिले में संचालित अस्पतालों में बायोवेस्ट का उचित प्रबंधन नहीं किया जा रहा है। खुले में बायोवस्ट फेंका जा रहा है। बालाघाट. जिले में संचालित अस्पतालों में बायोवेस्ट का उचित प्रबंधन नहीं किया जा रहा है। खुले में बायोवस्ट फेंका जा रहा है। नियमित रुप से बायोवेस्ट का उठाव भी नहीं हो पा रहा है। […]

बालाघाटApr 25, 2024 / 09:30 pm

Bhaneshwar sakure

बायोवेस्ट

खुले में फेंका जा रहा बायोवेस्ट

जिले में संचालित अस्पतालों में बायोवेस्ट का उचित प्रबंधन नहीं किया जा रहा है। खुले में बायोवस्ट फेंका जा रहा है।

बालाघाट. जिले में संचालित अस्पतालों में बायोवेस्ट का उचित प्रबंधन नहीं किया जा रहा है। खुले में बायोवस्ट फेंका जा रहा है। नियमित रुप से बायोवेस्ट का उठाव भी नहीं हो पा रहा है। जिसके कारण संक्रमण का खतरा भी बढ़ते जा रहा है। लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है। बावजूद इसके स्वास्थ्य महकमा गंभीर नहीं है। जिला चिकित्सालय में पड़ा बायोवेस्ट इसका उदाहरण है।

अस्पतालों में नहीं हो रहा बायोवेस्ट का उचित प्रबंधन

जिला चिकित्सालय में बायोवेस्ट का उचित प्रबंधन नहीं हो पा रहा है। अस्पताल परिसर और इसके पीछे बायोवेस्ट खुले में बिखरा पड़ा रहता है। अस्पताल प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार पोस्टमार्टम कक्ष के बाजू में बायोवेस्ट को रखने के लिए 3 कमरों का निर्माण कराया गया है। जहां बायोवेस्ट को रखा जाता है। इन्हीं कमरों से ठेकेदार बायोवेस्ट का निष्पादन करता है। यहां बायोवेस्ट का रोजाना निष्पादन नहीं होने संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है। जानकारी के अनुसार जिला चिकित्सालय में बायोवेस्ट के निष्पादन के लिए सिवनी के ठेकेदार को ठेका दिया गया है। ठेकेदार को दो-दो दिन के अंतराल में बायोवेस्ट को उठाना चाहिए। लेकिन ठेकेदार लापरवाह बना हुआ है। अस्पताल प्रबंधन भी इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है। उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य विभाग ने बायोवेस्ट को खुले में न फेंकने के सख्त निर्देश दिए है। इतना ही नहीं उसके निस्तारण के नियम भी तय किए हैं। बावजूद इसके अस्पताल में इसका पालन नहीं हो पा रहा है।

संक्रमण का खतरा

अस्पताल से निकलने वाले बायोवेस्ट से संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है। पट्टियां, खराब खून, इंजेक्शन, सीरिंज सहित अन्य सामग्री लोगों के लिए हानिकारक साबित हो सकती है। खुले में रखे बायोवेस्ट का समय पर निस्तारण नहीं किए जाने से इसमें से दुर्गंध आने लगती है। जिसके संक्रमण से बीमारियां फैलने की संभावना प्रबल हो जाती है।

दुर्गंध से परेशान होते हैं मरीज, उनके परिजन

बायोवेस्ट के दुर्गंध से न केवल मरीज बल्कि उनके परिजन भी परेशान होते हैं। बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है। बायोवेस्ट का उचित प्रबंधन नहीं होने की समस्या जिला चिकित्सालय में काफी दिनों से बनी हुई है। जिसके कारण अब अन्य लोगों को भी परेशान होना पड़ रहा है।

ये है गाइड लाइन

स्वास्थ्य विभाग की गाइड लाइन के अनुसार अस्पतालों व नर्सिंग सेंटरों से निकलने वाले बायोवेस्ट को इंसीनरेटर में नष्ट किया जाना चाहिए। दरअसल, ऑपरेशन के बाद निकलने वाले मानव अंग के अंश, पट्टी सहित अन्य मटेरियल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। बायावेस्ट मेंं विभिन्न बीमारियों के वायरस होते हैं। दवाईयों के अंश होते हैं। ये सभी चीजें मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
इनका कहना है
बायोवेस्ट का दो-दो दिन के अंतराल में उठाव किया जाता है। ठेकेदार बायोवेस्ट के निष्पादन में लापरवाही बरत रहा है तो उसे नोटिस जारी किया जाएगा। व्यवस्था में सुधार लाने के निर्देश दिए जाएंगे।
-डॉ. मनोज पाण्डेय, सीएमएचओ, बालाघाट
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