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दरअसल इस मामले की सुनवाई के दौरान हजारीबाग एसपी कार्तिक एस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए थे। उन्होंने कोर्ट के समक्ष कहा कि मामले की गंभीरता के साथ जांच की जा रही है, अभियुक्त का पॉलीग्राफी टेस्ट भी किया जा रहा है। मामले की सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस व जस्टिस संजय द्विवेदी की अदालत ने सुनवाई के दौरान नाराजगी व्यक्त की।
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अदालत ने एसपी से कहा कि पुलिस सीआरपीसी के तहत जांच कर रही है, लेकिन अभियुक्त पर पॉक्सो की धाराएं लगी हुई हैं फिर भी इस संगीन मामले में पुलिस कस्टोडियन इंटेरोगेशन क्यों नहीं कर रही है?
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गौरतलब है कि हजारीबाग के इचाक थाना क्षेत्र में 19 दिसंबर 2019 को 13 साल के नाबालिग को जबरन एसिड पिलाने की घटना हुई थी। पीड़िता का पटना एम्स और रांची रिम्स में दो महीने तक इलाज चलता रहा। पीड़िता इस दौरान बोल नहीं पा रही थी। दो महीने बाद पीड़ित के बयान पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 341. 342, 354, 307, 504, 506 और पास्को एक्ट की धाराएं लगाते हुए आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया। शिकायत में बताया गया कि आरोपी नाबालिग लड़की को अक्सर परेशान किया करता था। इस संबंध में आरोपी के आरोपी के परिवार को भी शिकायत की गई थी। पीड़िता नाना घर में रहकर पढ़ाई कर रही थी। पीड़िता के स्कूल से लौटने के क्रम में आरोपी ने इस घटना को अंजाम दिया।