scriptनांव पलटने से करीब 100 लोगों की हुई थी मौत, ट्रैक्टर ट्राली का भी हुआ भयंकर हादसा, फिर भी नहीं खुल रही किसी की आंख | Unknown facts about Katiyari arjunpur ganga ghat bridge in hardoi | Patrika News

नांव पलटने से करीब 100 लोगों की हुई थी मौत, ट्रैक्टर ट्राली का भी हुआ भयंकर हादसा, फिर भी नहीं खुल रही किसी की आंख

locationहरदोईPublished: Nov 15, 2018 02:06:25 pm

अब 2019 का लोकसभा चुनाव होने का समय आ रहा है, लिहाजा मामला फिर चर्चा में है…

Unknown facts about Katiyari arjunpur ganga ghat bridge in hardoi

नांव पलटने से करीब 100 लोगों की हुई थी मौत, ट्रैक्टर ट्राली का भी हुआ भयंकर हादसा, लेकिन नहीं खत्म हो रहा इंतजार

हरदोई. विकास का दंभ भरने वाले राजनीतिक दलों के लिए शायद सबसे बडा आईना कटियारी क्षेत्र के अर्जुनपुर गंगा घाट पर पुल निर्माण की मांग है। साल दर साल गुजरते जा रहे हैं और साल 2018 भी गुजर रहा है। मगर इस पुल के निर्माण के सपने और लोगों की मांग जस की तस है। 40 सालों से चली आ रही इस पुल के निर्माण की मांग को लेकर पत्रिका संवाददाता नवनीत द्विवेदी की खास रिपोर्ट…
महज वादों तक सिमटी मांग

आजादी के इतने सालों बाद भी रामगंगा नदी पर पक्के पुल का निर्माण सियासत के लिए महज वादों और आश्वासन तक सिमट गया है। जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर फर्रुखाबाद जनपद की सीमा से लगा हुआ अर्जुनपुर गांव है। मान्यता है कि महाभारत काल में अर्जुन ने इसे बसाया था। अर्जुनपुर से होकर निकली रामगंगा नदी पर सालों से पक्का पुल बनाने की मांग चली आ रही है।
नांव डूबने से करीब 100 लोगों की हुई थी मौत

दरअसल 1975 के आसपास यहां एक नांव के डूब जाने से करीब 100 लोगों की मौत हो गई थी और तभी से यहां पर पुल की मांग चली आ रही है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में इस इलाके का यह मुद्दा सियासत का प्रमुख मसला रहता है और हर प्रत्याशी पुल निर्माण कराने का वादा करता है। भाजपा के सदर सांसद अंशुल वर्मा, भाजपा के राज्यसभा सांसद अशोक बाजपेयी, BJP MLA रजनी तिवारी, इलाके के BJP MLA माधवेन्द्र प्रताप सिंह रानू ने भी पुल निर्माण का वादा किया। इसके अलावा सपा के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, पूर्व मंत्री शिवपाल सिंह, पूर्व सांसद ऊषा वर्मा ने भी पुल के लिए आश्वासन दिया। लेकिन आज भी इस पुल की हालत जस की तस बनी हुई है।
ट्रैक्टर ट्राली का भी हुआ बड़ा हादसा

नाव दुर्घटना में मारे गए करीब 100 लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए और पुल निर्माण की मांग को लेकर हर साल क्षेत्र के लोग अभी भी यहां हवन पूजन करते हैं और पुल निर्माण को लेकर अवाज बुलंद करते रहते हैं। साल 2011 में पैंटून पुल में हुई ट्रैक्टर ट्राली दुर्घटना का मामला बहुत गर्म हो गया और इसके बाद विधानसभा चुनाव में सपा ने पुल बनवाने का वादा किया था, मगर सपा की सरकार 5 साल रही और पुल न बन सका। साल 2014 लोकसभा चुनाव में पुल का मुद्दा फिर गर्म हुआ तो तत्कालीन सपा सांसद व प्रत्याशी ऊषा वर्मा ने इस पुल को लेकर सार्वजनिक रूप से मुख्यमंत्री एवं पीडब्लूडी मंत्री से पुल बनवाने का वादा लिया था। लेकिन फिर भी पुल न बन सका। इसी लोकसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन भाजपा प्रत्याशी और भाजपा सांसद अंशुल वर्मा ने पुल बनवाने का वादा किया था। वे लगातार प्रदेश और केन्द्र सरकार को पत्र लिखते रहे हैं और अभी भी प्रयासरत होने की बात कहते हैं, मगर पुल न बन सका
भाजपा विधायक बोले- हां मैंने वादा किया था और पुल जरूर बनेगा

इलाके के BJP MLA माधवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि चुनाव के दौरान उन्होंने पुल निर्माण का वादा किया था। इसलिए विधायक बनते ही उन्होंने सबसे पहले डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से पुल बनवाने की मांग की। केशव प्रसाद मौर्य ने आश्वासन दिया था कि पुल जरूर बनेगा और जल्द बनेगा। वह एक बार फिर डिप्टी सीएम और PWD मंत्री से इस बारे में दोबारा मुलाकात कर बात करेंगे।
पुल के लिए त्याग दिया श्रंगार

पुल के लिए इलाके के लोगों के साथ संघर्ष कर रहे पंचनद विकास संघर्ष समिति के संयोजक अवनिकांत बाजपेई और महेश मिश्र ने बताया कि सियासी लोगों की वादाखिलाफी और पुल न बनने से आहत होकर इलाके की प्रधान संघ की पूर्व अध्यक्ष सीमा मिश्र ने तीन साल पहले वट अमावस्या के दिन इसी घाट पर श्रंगार त्याग दिया था और पूल बनने तक बिना श्रंगार के रहने का एलान कर सियासत में भूचाल ला दिया। मगर कुछ समय बाद यह बात फिर भूली बिसरी सी हो गई। अब लोकसभा चुनाव होने का समय आ रहा है, लिहाजा मामला फिर चर्चा में है।
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