तीन अधीक्षिकाओं ने डीपीसी की कलेक्टर और पुलिस से आखिर क्यों शिकायत की छात्रावासों का प्रभार संभाला रही प्राथमिक शाला शिक्षिका
ज्ञात हो कि आदिम जाति कल्याण विभाग के छात्रावासों का प्रभार संभाल रहीं प्राथमिक शाला गुठानिया की शिक्षिका ममता परते, हाईस्कूल खामापड़वा की शिक्षिका प्रमिला धोत्रे व माध्यमिक शाला मगरधा की शिक्षिका निर्मला बराड़े ने 20 सितंबर को शिकायती आवेदन देकर आरोप लगाया था कि डीपीसी डॉ. तिवारी ने उन्हें १९ सितंबर की शाम को कार्यालय बुलाया था। वे जब स्कूल की वर्क बुक सहित अन्य दस्तावेज दिखा रहीं थीं तभी तिवारी अचानक भड़क गए थे। उन्होंने वेतन रोकने और जातिसूचक शब्द बोलते हुए नौकरी खाने की भी धमकी दी गई थी।
ज्ञात हो कि आदिम जाति कल्याण विभाग के छात्रावासों का प्रभार संभाल रहीं प्राथमिक शाला गुठानिया की शिक्षिका ममता परते, हाईस्कूल खामापड़वा की शिक्षिका प्रमिला धोत्रे व माध्यमिक शाला मगरधा की शिक्षिका निर्मला बराड़े ने 20 सितंबर को शिकायती आवेदन देकर आरोप लगाया था कि डीपीसी डॉ. तिवारी ने उन्हें १९ सितंबर की शाम को कार्यालय बुलाया था। वे जब स्कूल की वर्क बुक सहित अन्य दस्तावेज दिखा रहीं थीं तभी तिवारी अचानक भड़क गए थे। उन्होंने वेतन रोकने और जातिसूचक शब्द बोलते हुए नौकरी खाने की भी धमकी दी गई थी।
डीपीसी से मिलने के बाद की शिकायत
डीपीसी से मिलने के बाद शिक्षिकाओं ने कलेक्टर एस. विश्वनाथन से मुलाकत कर शिकायत की थी। हाईस्कूल खामापड़वा की शिक्षिका प्रमिला धोत्रे व माध्यमिक शाला मगरधा की शिक्षिका निर्मला बराड़े शिकायत के दस दिन बाद ही आरोपों से मुकर गई थीं। उन्होंने शपथ पत्र देकर कहा था कि डीपीसी डॉ. तिवारी से मुलाकात के दौरान उन्होंने केवल गुणवत्तायुक्त शिक्षा के मुद्दे पर बात की थी। उन्होंने पत्र में यह भी कहा है कि वे यह सब बगैर किसी दबाव में लिख रही हैं। डॉ. तिवारी पर लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं।
डीपीसी से मिलने के बाद शिक्षिकाओं ने कलेक्टर एस. विश्वनाथन से मुलाकत कर शिकायत की थी। हाईस्कूल खामापड़वा की शिक्षिका प्रमिला धोत्रे व माध्यमिक शाला मगरधा की शिक्षिका निर्मला बराड़े शिकायत के दस दिन बाद ही आरोपों से मुकर गई थीं। उन्होंने शपथ पत्र देकर कहा था कि डीपीसी डॉ. तिवारी से मुलाकात के दौरान उन्होंने केवल गुणवत्तायुक्त शिक्षा के मुद्दे पर बात की थी। उन्होंने पत्र में यह भी कहा है कि वे यह सब बगैर किसी दबाव में लिख रही हैं। डॉ. तिवारी पर लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं।
कलेक्टर ने गठित किया था जांच दल
अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ ने शिक्षिकाओं के समर्थन में २४ सितंबर को कलेक्ट्रेट में डीपीसी के खिलाफ ज्ञापन देकर कार्रवाई की मांग की थी। जिसे कलेक्टर ने डिप्टी कलेक्टर अंकिता त्रिपाठी को तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गई थी लेकिन जांच पूरी होती इसके पहले ही तीसरी शिक्षिका भी अपने बयान से पटल गई।