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Harda factory Blast: हरदा फैक्ट्री ब्लास्ट के बाद शिविर से बाहर नहीं निकल पा रहे 150 लोग

Harda factory Blast: पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट में 19 मकान हुए थे क्षतिग्रस्त, पीडि़तों को आईटीआई में बने राहत शिविर में ठहराया, प्रशासन ने नहीं की घर बनवाने की कोई पहल…।

हरदाFeb 23, 2024 / 11:13 am

Manish Gite

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Harda factory Blast. मगरधा रोड पर स्थित बैरागढ़ स्थित पटाखा फैक्ट्री में 6 फरवरी को हुए ब्लास्ट के चलते एक दर्जन से अधिक लोगों की जान चली गई थी, वहीं कई लोगों के घर तबाह हो गए थे। पीडि़तों को आईटीआई में बनाए राहत शिविरों में ठहराया है। ब्लास्ट के 17 वें दिन भी आश्रय स्थल में करीब 150 लोग मौजूद हैं। ऐसे में जहां इन परिवारों को अपने घरों से दूर रहना पड़ रहा है, वहीं आईटीआई में पढऩे वाले बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। लेकिन प्रशासन पीडि़तों के घर बनवाने के लिए कोई पहल नहीं कर रहा है, ताकि ये लोग अपने घरों को वापस लौट सकें।

जानकारी के अनुसार हरदा पटाखा फैक्ट्री में धमाका होने से करीब 19 मकान क्षतिग्रस्त हो गए थे। जिनमें करीब 27 परिवार रहते थे। जान बचाने के लिए भागने के दौरान वे घायल हो गए थे। अस्पताल में इलाज लेने के बाद वे आईटीआई में बनाए आश्रय स्थल में रहकर समय काट रहे हैं। वर्तमान में यहां पर अभी भी 150 लोग रह रहे हैं।

 

 

पटाखा फैक्ट्री के पास अधिकांश लोग दिहाड़ी-मजदूरी करके जीवन-यापन कर रहे थे। लेकिन ब्लास्ट में उनके घायल होने से वे काम धंधे से भी मोहताज हो गए हैं। कुछ लोग ठीक होने पर वे अपने काम पर लौटना चाहते हैं, लेकिन अधिकारी उन्हें घरों तक नहीं जाने दे रहे हैं, जिससे वे अपना काम का सामान भी नहीं निकाल पा रहे हैं। बैरागढ़ निवासी मनोज बेलदार ने बताया कि वह मिस्त्री का काम करता है। उसका सेंट्रिंग का सामान क्षतिग्रस्त मकान के बाहर ही रखा है।

गुरुवार को उसने एक मकान में काम करने के लिए ठेका लिया था। तीन मजदूरों और सामान ले जाने के लिए ट्रैक्टर की व्यवस्था की थी। लेकिन उसे अधिकारियों ने उसके बैरागढ़ स्थित घर से सेंट्रिंग का सामान उठाने नहीं दिया और वहां से भगा दिया। इसके लिए वह दिनभर कलेक्ट्रेट में सामान निकलवाने के लिए अधिकारियों के हाथ-पैर जोड़ता रहा, लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं की।

 

 

पीडि़त मनोज ने कहा कि आश्रय स्थल में मात्र चार रोटियां और पानी जैसी दाल दे रहे हैं, जिसमें उनका पेट नहीं भर पा रहा है। रोटियां भी कच्ची रहती हैं। कर्मचारी जिसे थमाकर इतिश्री कर रहे हैं। इसलिए वह अपना मिस्त्री का काम शुरू करके परिवार के लिए पैसे कमाने और अच्छा भोजन की व्यवस्था करना चाह रहा है, लेकिन अधिकारी उन्हें मकान से सेंट्रिंग आदि सामान निकालने नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कलेक्टर से गुहार लगाई कि उन्हें उनके मकानों से काम संबंधी सामानों को निकालने की अनुमति दी जाए, ताकि उनका जीवन-यापन सही ढंग से हो सके।

 

क्षतिग्रस्त घरों से हादसे की आशंका को देखते हुए जाने नहीं दिया जा रहा है। पीडि़तों के घरों से उनके काम संबंधी सामान निकालने की अनुमति दे दी है। शुक्रवार को कर्मचारियों की मौजूदगी में उनका सामान निकलवा दिया जाएगा।
-केसी परते, एसडीएम, हरदा

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