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बांध के विरोध में सड़क पर उतरे वनवासी, घेरा कलेक्ट्रेट जमकर किया विरोध

locationहरदाPublished: Oct 16, 2019 03:07:33 pm

Submitted by:

poonam soni

कलेक्टर से मुलाकात पर अड़े ग्रामीण, तीन घंटे बाद मिलने पहुंचे कलेक्टर ने शासन से चर्चा कर नियमानुसार कार्रवाई का भरोसा दिया
 

बांध के विरोध में सड़क पर उतरे वनवासी, घेरा कलेक्ट्रेट जमकर किया विरोध

बांध के विरोध में सड़क पर उतरे वनवासी, घेरा कलेक्ट्रेट जमकर किया विरोध

हरदा/ टिमरनी ब्लाक के तीन वनग्रामों के लोगों ने मंगलवार को जिला मुख्यालय पहुंचकर मोरन-गंजाल सिंचाई परियोजना का जमकर विरोध किया। रैली लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे तो एसडीएम ने ज्ञापन लेकर उनकी मांग से कलेक्टर को अवगत कराने का कहा। वनवासी कलेक्टर से मिलने की मांग करने लगे तो प्रतिनिधिमंडल को मिलवाया गया। कलेक्टर ने उनके गांव नहीं डूबने की बात कही तो ग्रामीणों ने यह बात लिखित में चाही, लेकिन प्रशासन द्वारा देर तक यह लिखकर नहीं दिया गया। इस दौरान बाकी लोग मुख्य द्वार पर नारे लगाते हुए डटे रहे। दूसरे दौर में उनसे चर्चा के लिए अपर कलेक्टर प्रियंका गोयल पहुंची, लेकिन बात नहीं जमी। इसके बाद कलेक्टर एस. विश्वनाथन को वनवासियों से मिलने जाना पड़ा। करीब तीन घंटे के प्रदर्शन के दौरान वनवासी एक ही मांग पर अड़े रहे कि बांध न बने। पर्यावरण अनुमति के बगैर जारी टेंडर निरस्त किए जाएं। इस दौरान कलेक्टर ने उन्हें आश्वस्त किया कि नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण से संपर्क कर नियमानुसार कार्रवाई के प्रयास किए जाएंगे। अपर कलेक्टर गोयल ने कहा कि प्रस्ताव स्वीकृत होने के पहले इन गांव के लोगों ने अपनी मंजूरी दी होगी। इस पर जिंदगी बचाओ अभियान शमरुख धारा ने कहा कि किसी भी ग्रामीण ने बांध निर्माण पर अपनी सहमति नहीं दी। वे बीते कई महीनों से कलेक्ट्रेट में इस संबंधी आवेदन दे चुके, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही। बगैर पर्यावरण अनुमति के २३७४ हेक्टेयर वनक्षेत्र डुबोया जा रहा है। इस पर एडीएम गोयल ने कहा कि वर्ष २०१५ में हुई सुनवाई के दौरान क्या कार्रवाई हुई यह देखा जाएगा। वहीं कलेक्टर विश्वनाथन ने कहा कि एक सप्ताह बाद इन गांवों के कुछ लोग आ जाए उन्हें बता दिया जाएगा कि तब क्या कार्रवाई हुई थी और प्राधिकरण की क्या कार्रवाई चल रही है। कलेक्टर के आश्वासन के बाद वनवासी वापस अपने गांव लौटे।
सात महीने से संपर्क में हैं ग्रामीण, स्पष्ट नहीं हो रहा गांव डूबेगा या नहीं
ज्ञापन में ग्रामीणों ने कहा कि इस साल १९ मार्च को प्रतिनिधिमंडल ने कलेक्टर से मुलाकात की थी। तब बताया गया था कि जिले का एक भी गांव नहीं डूबेगा। यदि गांव डूबेगा तो इसकी सूचना दी जाएगी। इस पर ग्रामीणों ने कहा था कि गांव में सर्वे शुरू हो गया। उन्हें गुमराह किया जा रहा है। तब कलेक्टर ने पुन: स्पष्ट किया था कि जानकारी लेकर बताया जाएगा। इसके बाद उन्होंने 14 मई को पत्र देकर कलेक्टर से जानना चाहा था कि परियोजना के तहत प्रभावित गांवों के बारे में बताएं, लेकिन उन्हें एक बार फिर आश्वासन ही मिला था। अब मीडिया के माध्यम से पता चला है कि परियोजना के टेंडर जारी हो चुके। जिला प्रशासन यह स्पष्ट क्यों नहीं कर रहा कि सच क्या है।
किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेंगे घर
कृषि मंडी परिसर से रैली लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे बोथी, महूखाल व कायरी गांव के लोगों ने बांध के विरोध में नारे लगाए। कलेक्ट्रेट के मुख्य द्वार पर धरना देकर बैठे ग्रामीणों का कहना था कि वे किसी भी कीमत पर अपना गांव नहीं छोड़ेंगे।
तीन जिलों के 211 गांव का 52250 हेक्टेयर रकबा सिंचित होगा
प्राप्त जानकारी के अनुसार नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण द्वारा पूर्ण की जाने वाली करीब 18 00 करोड़ रुपए की परियोजना के तहत हरदा, होशंगाबाद व खंडवा जिले के 211 गांवों की 52205 हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी। इससे हरदा जिला 100 प्रतिशत सिंचित हो जाएगा। होशंगाबाद जिले की सिवनीमालवा तहसील व हरदा जिले के वनांचल में पेयजल भी उपलब्ध कराया जाएगा। परियोजना के बैक वाटर से होशंगाबाद और हरदा के 4-4 व बैतूल जिले के 2 गांव डूब में आ रहे हैं। यहां भूमि अधिग्रहण किया जा चुका है।

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