इस दिन को वक्रकुंडी चतुर्थी, तिलकुटा चौथ के नाम से भी जाना जाता है.इस दिन भगवान गणेश के साथ चंद्रमा की पूजा भी की जाती हैं. पंडित दीपक दीक्षित बताते हैं कि इसी दिन भगवान गणेश अपने जीवन के सबसे बड़े संकट से निकलकर आए थे इसीलिए इसे सकट चौथ कहा जाता है. इसी दिन से भगवान गणपति को प्रथम पूज्य होने का गौरव भी हासिल हुआ था. सकट चौथ के दिन ही भगवान गणेश को 33 करोड़ देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त हुआ था. इसलिए यह तिथि गणपति पूजन की सबसे अहम तिथि बन गई है। इस बार संकष्टी चतुर्थी (सकट चौथ) 23 जनवरी को 23.59 पर शुरू हो जाएगी और 24 जनवरी को 20.53 बजे तक रहेगी.