उसकी सेहत की प्रारंभिक जांच के बाद चिकित्सकीय सुविधा दिलाने का भरोसा जताया। इस मौके पर एसडीएम सुरेंद्र पुरोहित ने बुजुर्ग महिला को निजी स्तर पर १००० रुपए सौंपे। इससे पूर्व सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग के एनालिस्ट कम प्रोग्रामर योगेंद्र कुमार के निर्देश पर बुजुर्ग महिला का आधार कार्ड बनाने के लिए आधार ऑपरेटर राजपाल सिंह व राजेंद्र कुमार भी वृद्धा के घर पहुंचे। मशीन लेकर प्रशासन की टीम ने उसके घर पहुंचकर वृद्धा संतोष देवी की आंख की पुतलियों को स्केन करने तथा हाथ के अंगूठे लेने के बाद कई देर तक आधार कार्ड बनाने की मशक्कत में जुटी रही।
पूर्व पार्षद सुरेश महायच ने आवश्यक दस्तावेज बनवाने में सहायता की। काफी प्रयासों के बाद आखिरकार वृद्धा के नाम आधार नामांकन प्रक्रिया पूर्ण हो गई है। नामांकन के बाद अधिकतम तीन माह के भीतर उसका आधार कार्ड बनकर आने की संभावना है। सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग के एनालिस्ट कम प्रोग्रामर योगेंद्र कुमार ने बताया कि आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। एसडीएम कार्यालय से संपर्क कर पेंशन तत्काल शुरू कराने का प्रयास कर रहे हैं। उम्मीद है सोमवार-मंगलवार तक वृद्धा की पेंशन शुरू हो जाएगी।
मिलेगी हिस्से की खुशी
मिलेगी हिस्से की खुशी
वृद्धा संतोष देवी की छोटी बहन सरोज देवी ने बताया कि हम चार वर्ष से सरकारी दफ्तरों के चक्कर निकाल रहे थे। लेकिन विधवा संतोष की पेंशन शुरू नहीं हुई। उन्होंने बताया कि जिस तरह से अफसर लोग अब घर पहुंचे हैं, उससे लगता है कि संतोष की पेंशन शुरू होने के साथ ही अन्य योजनाओं का लाभ जरूर मिलेगा। अधिकारी संवेदनशील होकर यदि संतोष का जीवन सुधारने का प्रयास करेंगे तो निश्चित तौर पर उसे अपने हिस्से की खुशी जरूर नसीब होगी।
गिरने के बाद उठना हुआ मुश्किल
गिरने के बाद उठना हुआ मुश्किल
पड़ौसी बताते हैं कि वृद्धा संतोष के पति की 15 वर्ष पहले बीमारी के चलते मौत हो गई। बे-औलाद होने के कारण देखभाल के लिए कोई नहीं बचा। छोटी बहन ने सहारा दिया। तब से वह यहीं रह रही है।
लेकिन छोटी बहन की आर्थिक स्थिति भी दयनीय है। इसलिए संतोष की देखभाल करने में दिक्कत आ रही है। कुल्हा टूटने के बाद तो संतोष की जिंदगी नासूर ही बन गई है। हर सांस के साथ कुदरत उसे दर्द दे रहा है। पांव में इतनी सूजन है कि वह हिल भी नहीं सकती।
लेकिन छोटी बहन की आर्थिक स्थिति भी दयनीय है। इसलिए संतोष की देखभाल करने में दिक्कत आ रही है। कुल्हा टूटने के बाद तो संतोष की जिंदगी नासूर ही बन गई है। हर सांस के साथ कुदरत उसे दर्द दे रहा है। पांव में इतनी सूजन है कि वह हिल भी नहीं सकती।
पत्रिका ने समझा बेसहारा का दर्द
राजस्थान पत्रिका ने वृद्धा संतोष देवी के दर्द को महसूस कर शनिवार के अंक में ‘आधार बिना ‘लाचार’ बनी जिंदगी’ शीर्षक से समाचार का प्रकाशन किया। इसके बाद प्रशासन ने संवेदनशीलता का परिचय देकर पीडि़त वृद्धा को हर संभव सहायता दिलाने का प्रयास किया। आधार कार्ड बनाने, पेंशन बंधवाने की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही उसके सेहत की जांच करने के लिए एसडीएम ने सीएमएचओ को मुस्तैद कर दिया है।
राजस्थान पत्रिका ने वृद्धा संतोष देवी के दर्द को महसूस कर शनिवार के अंक में ‘आधार बिना ‘लाचार’ बनी जिंदगी’ शीर्षक से समाचार का प्रकाशन किया। इसके बाद प्रशासन ने संवेदनशीलता का परिचय देकर पीडि़त वृद्धा को हर संभव सहायता दिलाने का प्रयास किया। आधार कार्ड बनाने, पेंशन बंधवाने की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही उसके सेहत की जांच करने के लिए एसडीएम ने सीएमएचओ को मुस्तैद कर दिया है।