नहरी तंत्र विकसित नहीं
विडम्बना है कि तीनों बांधों के निर्माण के बाद संबंधित राज्यों में नहरी तंत्र को इतना विकसित नहीं किया गया कि बांधों में कुल भंडारण के अनुपात में इनका उपयोग किया जा सके। राजस्थान के लिए जीवनदायिनी माने जाने वाली इंदिरागांधी नहर से हनुमानगढ़ के अलावा श्रीगंगानगर, चूरू, बीकानेर, नागौर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, झुंझुंनू, सीकर आदि जिलों को जलापूर्ति होती है। परंतु इस नहर का कुछ भाग क्षतिग्रस्त होने के कारण इसकी कुल क्षमता के अनुसार पानी चलाना संभव नहीं हो रहा है।
विडम्बना है कि तीनों बांधों के निर्माण के बाद संबंधित राज्यों में नहरी तंत्र को इतना विकसित नहीं किया गया कि बांधों में कुल भंडारण के अनुपात में इनका उपयोग किया जा सके। राजस्थान के लिए जीवनदायिनी माने जाने वाली इंदिरागांधी नहर से हनुमानगढ़ के अलावा श्रीगंगानगर, चूरू, बीकानेर, नागौर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, झुंझुंनू, सीकर आदि जिलों को जलापूर्ति होती है। परंतु इस नहर का कुछ भाग क्षतिग्रस्त होने के कारण इसकी कुल क्षमता के अनुसार पानी चलाना संभव नहीं हो रहा है।
बांधों के बढ़े लेवल ने अफसरों की उड़ाई नींद
भाखड़ा बांध का जल स्तर गत वर्ष की तुलना में 117 तथा पौंग 49 फीट अधिक है। इस तरह बांधों के बढ़े लेवल ने अफसरों की नींद उड़ाकर रखी है। इस स्थिति में अफसर इसी बात पर जोर दे रहे हैं कि बांधों में जितना पानी भरा हुआ है, उसका अधिकाधिक उपयोग संबंधित राज्य कर लें। मगर निर्धारित अवधि तक पानी का उपयोग नहीं करने पर हरिके डाउन स्ट्रीम के जरिए पाकिस्तान क्षेत्र में पानी छोडऩे का एक मात्र रास्ता बचेगा।
भाखड़ा बांध का जल स्तर गत वर्ष की तुलना में 117 तथा पौंग 49 फीट अधिक है। इस तरह बांधों के बढ़े लेवल ने अफसरों की नींद उड़ाकर रखी है। इस स्थिति में अफसर इसी बात पर जोर दे रहे हैं कि बांधों में जितना पानी भरा हुआ है, उसका अधिकाधिक उपयोग संबंधित राज्य कर लें। मगर निर्धारित अवधि तक पानी का उपयोग नहीं करने पर हरिके डाउन स्ट्रीम के जरिए पाकिस्तान क्षेत्र में पानी छोडऩे का एक मात्र रास्ता बचेगा।