हनुमानगढ़. कलक्टर कानाराम ने मंगलवार को जंक्शन व टाउन मंडी में जाकर फसलों की हो रही सकरारी खरीद की व्यवस्थाएं जांची। जंक्शन मंडी में कलक्टर ने जब किसानों से खरीद व्यवस्था को लेकर सवाल-जवाब किए तो किसान मंडी में बिना छाया-पानी के भी संतुष्ट दिखे। लेकिन किसानों की हालात को देखकर कलक्टर ने तत्काल कहा कि कहां हैं मंडी समिति के सचिव। एक अफसर ने कहा कि वह यहीं-कहीं हैं। इस दौरान कृषि विपणन विभाग के उप निदेशक डीएल कालवा से कलक्टर ने कहा कि किसानों के लिए मंडी में जगह-जगह टैंट लगावाएं। ताकि धूप से उन्हें राहत मिले। कलक्टर ने उप निदेशक से कहा कि टैंट लगवाकर इसकी फोटो मुझे भेजें। उप निदेशक डीएल कालवा ने बुधवार तक टैंट लगवाने की बात कही। इस तरह मंडी में अब सिर छिपाने के लिए किसानों को इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा। कलक्टर ने मंडी परिसर का निरीक्षण करके गेहूं व सरसों खरीद के लिए की गई व्यवस्थाएं देखीं। निरीक्षण के दौरान सहकारिता विभाग के उप रजिस्ट्रार मनोज कुमार मान, कृषि उपज मंडी समिति के सचिव सीएल वर्मा सहित भारतीय खाद्य निगम के अधिकारी साथ रहे। सबसे पहले जिला कलक्टर जंक्शन अनाज मण्डी में पहुंचे। यहां उन्होंने एफसीआई की ओर से किसानों से समर्थन मूल्य पर की जा रही गेहूं खरीद के बारे में जानकारी ली। इसके बाद क्रय-विक्रय सहकारी समिति की ओर से रीको क्षेत्र में बनाए गए सरसों खरीद केन्द्र पर पहुंचे जिला कलक्टर ने किसानों से बात की। इस मौके पर क्रय विक्रय सहकारी समिति हनुमानगढ़ के अध्यक्ष प्रेम गोदारा ने समिति की कार्य प्रणाली से अवगत करवाया। इसके बाद कलक्टर टाउन की अनाज मंडी में पहुंचे तो यहां चारों तरफ गेहूं से भरे थैल्े रखे होने के कारण जिला कलक्टर की सरकारी गाड़ी कुछ समय के लिए जाम में फंस गई। कुछ देर तक जिला कलक्टर गाड़ी में बैठे रहे। फिर गाड़ी के चालक ने स्वयं नीचे उतरकर यातायात सुचारू करवाया। जिला कलक्टर मंडी में पहुंचे तो किसानों ने उन्हें समस्याओं से अवगत करवाया। किसानों का आरोप था कि एफसीआई की ओर से मात्र अपने चहेते दो-तीन व्यापारियों को बारदाना उपलब्ध करवाया जा रहा है। इन्हीं व्यापारियों को फायदा पहुंचाने के लिए उनके गेहूं का उठाव किया जा रहा है। लिफ्टिंग की धीमी गति के कारण किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गांव कमरानी निवासी किसान सुरेन्द्र ने जिला कलक्टर को बताया कि अनाज मंडी में रास्ते के बीच में ही गेहूं की ढेरियां लगी हुई हैं। वे ट्रैक्टर-ट्रॉली में गेहूं लेकर मंडी में पहुंचे हैं लेकिन मंडी में गेहूं रखने की जगह नहीं बची है।